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पुराने कचरे के साथ-साथ और सीवरेज डिस्चार्ज के मैनेंजमेंट पर ठोस कदम नहीं उठाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ रुपये का जुरमाना लगाया गया था.

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि टीसीआईपीपी, टीडीसीआईपीपी और टीसीईपी जैसे केमिकल के संपर्क में लंबे समय तक रहने पर कार चालकों, विशेष रूप से बच्चों को कैंसर होने का खतरा है.

एनजीटी ने सवाल उठाया कि DDA ने 4 अनाधिकृत कालोनियों के लिए DGB के आग्रह पर सीवर लाइन बिछाने का NOC दे दिया है, क्या इससे अनाधिकृत कालोनियों में बसने के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया जा रहा है.

NGT की हाई पावर कमेटी गाजियाबाद से मुजफ्फरनगर तक गंगा नहर पटरी के चौड़ीकरण के उद्देश्य से काटे जा रहे पेड़ों के मामले की जांच करेगी. इस कमेटी में यूपी के मुख्य सचिव, पर्यावरण निदेशक, डीएम मेरठ और सीनियर साइंटिस्ट शामिल हैं.

कहा जाता है कि पराली के जलाने से प्रदूषण होता है. लेकिन पर्यावरण अनुकूल धन की खेती पर सम्मेलन का आयोजन के दौरान एनजीटी सदस्य ने बड़ा बयान दिया है.

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मामला काफी दिनों से चर्चा में है, पिछली सुनवाई में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दो बड़े अधिकारियों पर जुर्माना लगाया था.

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार ने STP का टेंडर जारी कर चुका है और काम भी जारी है फिर भी एनजीटी ने इतना भारी भरकम जुर्माना लगा दिया.

NGT ने पूछा कि सब्ज़िडी मशीन के लिए अपने कितना रुपया खर्च किया है. इस पर पंजाब सरकार ने कहा कि 11 हज़ार से ज़्यादा मशीनें दी गई हैं.