धोखाधड़ी के मामले में कथित आरोपी विदेशी नागरिक किम वानसू के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है, विदेशी नागरिक पर एक कंपनी को एक विकास परियोजना को लेकर नौ करोड़ रुपए का भुगतान करने में कथित रूप से चूक की थी.
जस्टिस सी टी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने अगस्त 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को निरस्त कर दिया है. हाई कोर्ट ने विदेशी नागरिक को राहत देने से इनकार कर दिया था. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किम वानसू के खिलाफ अस्पष्ट आरोप दिखाए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मुकदमे का सामना करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और इसमें दखल न करने से न्याय की विफलता होगी.
मेरठ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दिया है. आरोप लगाया गया था कि हुंदै इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन इंडिया एलएलपी के परियोजना प्रबंधन किम वानसू और अन्य आरोपियों ने एक परियोजना के लिए श्रमशक्ति प्राप्त करने के लिए कंपनी और एक अन्य उप-ठेकेदार के बीच हुए समझौते के बाद भुगतान नहीं करने के लिए मिलीभगत की थी. किम वानसू सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात सहित आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत 2020 में एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर के बाद किम वानसू ने कहा कि उसने जांच अधिकारी के समक्ष अपने पास मौजूद दस्तावेज पेश करने को कहा गया, जो उसके पास नहीं थे.
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-भारत एक्सप्रेस
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