सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई बुलडोजर (UP Bulldozer Action) की कार्रवाई पर नाराजगी व्यक्त की है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिकारियों को दमनकारी करार दिया है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील से कहा कि आप रातों रात घर नहीं गिरा सकते है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, आप इस तरह से लोगों के घर को कैसे ध्वस्त कर सकते है, यह अराजकता है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Chief Secretary) के मुख्य सचिव को अवैध रूप से तोड़फोड़ की कार्रवाई करने के मामले में जांच करने और याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़(CJI D.Y. Chandrachud), जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है, उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा कि हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आप केवल मौके पर गए और लाउड स्पीकर के माध्यम से लोगों को सूचित किया.
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अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता के साथ-साथ 123 अन्य लोगों के मकान पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई. मनोज टिबरेवाल आकाश की ओर से भेजी गई एक शिकायत के आधार पर 2020 में स्वतः संज्ञान लेकर कोर्ट ने सुनवाई शुरू की थी. आकाश के घर को 2019 में सड़क चौड़ीकरण ने नाम पर तोड़ दिया गया था. आकाश महराजगंज के रहने वाले है. कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर दिशा निर्देश तय करने के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है.
-भारत एक्सप्रेस
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