Cooking Methods: आजकल खाना बनाना लगभग हर किसी को आता है लेकिन खाना बनाने के दौरान कई बार छोटी-छोटी गलतियां हो जाती हैं जो पूरी मेहनत पर पानी फेर देती हैं. वहीं खुद को स्वस्थ रखने के लिए खानपान सही रखना सबसे ज्यादा आवश्यक है. इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकती है. आपको कुकिंग में आने वाली दिक्कतों से डील करने के आसान और कारगर तरीके भी पता होना जरूरी है. हालांकि कुछ आसान टिप्स आपकी इस परेशानी को न सिर्फ दूर कर देंगे, बल्कि आपके खाने को और भी स्वादिष्ट बनाने में मदद करेंगे.
अब इसी को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक गाइडलाइन जारी की है. रिसर्च के अनुसार, स्वस्थ भोजन तैयार करने के लिए कुकिंग और प्रीकुकिंग तकनीक सही होना सबसे आवश्यक है. कुकवेयर्स का सुरक्षित और प्रैक्टिकल इस्तेमाल भी काफी अहम है. कुकिंग में हल्की सी भी लापरवाही भोजन से न्यूट्रीशन को खत्म कर सकती है. ऐसे में आईसीएमआर की जारी इन गाइलाइन को फॉलो कर कुकिंग को सेफ रख सकते हैं.
कुकिंग के तरीके से पहले, प्री कुकिंग यानि खाना बनाना शुरु करने से पहले की प्रक्रिया भी जरूरी होती है. इसमें सोकिंग, मैरिनेटिंग और ब्लैचिंग जैसी प्रक्रियाओं पर जोर दिया गया है.
पकाने से पहले अनाज को भिगोने की प्रक्रिया को सोकिंग कहते हैं. ICMR ने अनाज को 3 से 6 घंटे तक भिगोनी की गाइडलाइन दी है. अनाज भिगोने से इसमें मौजूद फाइटिक एसिड कम होता है, जिससे शरीर में जरूरी मिनरल्स बेहतर तरीके से एब्जॉर्ब होते हैं.
खाना बनाने से पहले, भोजन सामग्री को मसालेदार या खट्टे पदार्थों में भिगोने की प्रक्रिया मैरिनेटिंग कही जाती है. इसे अचार बनाने से पहले उसमें नमकीन के उपयोग से समझा जा सकता है. मांसाहारी भोजन में इस प्रक्रिया का उपयोग ज्यादा होता है.
सब्जी को गरम पानी में पकाना और फिर निकालकर ठंडे पानी में पूरी तरह ठंडा करने की प्रक्रिया ब्लांचिंग कहलाती है. इस प्रक्रिया से सब्जियों से पेस्टिसाइड हटते है और माइक्रोबियल लोड कम होता है.
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प्रेशर कुकिंग में खाना स्टीम या भाप के दबाव से पकता है. इस तरह से पके खाने में जरूरी मिनरल्स और विटामिन बने रहते हैं.
भोजन को उबालकर पकाने से खाना बनाने में समय कम लगता है. इसके अलावा उबले या स्टीम किये भोजन में विटामिन और मिनरल बने रहते हैं.
ICMR ने माइक्रोवेव कुकिंग पर भी जोर दिया है. इससे खाना जल्दी पकता है और पोषक तत्व भी बने रहते हैं.
फ्राइंग और शैलो फ्राइंग के बारे में ICMR ने बताया कि इस तरह से खाना पकाने से खाने में फैट या वसा की मात्रा बढ़ जाती है. हालांकि स्वाद बढ़ाने में फ्राइंग और शैलों फ्राइंग बेहतर होती है.
ICMR के अनुसार खाना बनाने के अलावा, अच्छे स्वास्थ्य के लिए सही बर्तनों में खाना बनाना भी बहुत जरूरी होता है. ICMR की खाने के बर्तनों के लिए ये गाइडलाइन है-
मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से भोजन में मिनरल कंटेंट के साथ-साथ स्वाद भी बढ़ता है. मिट्टी के पात्रों में भोजन बनाने के लिए सफाई का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है.
इस तरह के नॉन-स्टिक पैन में खाना पकाना लो-फैट कुकिंग के लिए बेहतर होता है. हालांकि इसका इस्तेमाल करते समय ओवर हीटिंग पर ध्यान देना चाहिए. इससे जहरीले धुएं का रिसाव हो सकता है.
मेटल और स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में खाना बनाते समय किसी चीज का रिसाव नहीं होता.
ग्रेनाइट के बर्तनों में खाना पकाना बहुत सुरक्षित होता है. इसमें किसी प्रकार के रसायनों का रिसाव नहीं होता. साथ ही ये ज्यादा टिकाऊ होते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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