देशभर के अधिकतर राज्यों में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. कई जगह पारा 45 के पार पहुंच गया है. इन दिनों गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है. सुबह 10 बजे के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. खासकर जिन लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियां रहती हैं, उनके लिए ये मौसम बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. जी हां, गर्मी में कई कारण हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाते हैं. गर्मी में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ता है और इसका कारण क्या हो सकता है?
दिल से जुड़ी बीमारियों पर डॉक्टर्स का कहना है कि सर्दियों में हार्ट अटैक पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन ठीक वैसे किसी भी मौसम में हार्ट अटैक या दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. गर्मी के मौसम में हार्ट अटैक पड़ने और हार्ट फेलियर की मामले भी काफी बढ़ जाते हैं. इसका कारण वजह डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रेस, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, बहुत ज्यादा और हाई इंटेंसिटी की फिजिकल एक्टिविटी, ज्यादा हार्ड वर्क और ब्लड प्रेशर में बदलाव शामिल हो सकते हैं.
डॉक्टर्स के अनुसार गर्मी के कारण ब्लड प्रेशर में भी बदलाव आते हैं. गर्मियों में खासतौर से बीपी को मेजर करते रहें. जरा भी अप-डाउन फील हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. शरीर के टेंपरेचर को कंट्रोल करने की कोशिश करें और भरपूर पानी पीते रहें. शरीर ठंडा रहेगा तो बीपी कंट्रोल रहेगा.
डॉक्टर्स के अनुसार हीट स्ट्रोक, गर्मी से संबंधित बीमारी का सबसे गंभीर रूप है, तब होता है जब शरीर का मुख्य तापमान 104°F (40°C) से अधिक हो जाता है, जिससे थर्मोरेगुलेटरी कार्य में बाधा आ सकती है. गर्मी में अधिक तापमान में रहने से शरीर के द्वारा गर्मी को नष्ट करने की क्षमता प्रभावित होती है, जिसके परिणामस्वरूप शारीरिक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न होती हैं. ऐसे में डिहाइड्रेशन की वजह से सूजन और सेलुलर डैमेज हो सकता है. इससे हृदय प्रणाली पर दबाव उत्पन्न होता है.
हीट स्ट्रोक हृदय संबंधी लोगों पर गहरा प्रभाव डालता है, यह पहले से मौजूद स्थितियों को बढ़ा सकता है और नई हृदय संबंधी समस्याएं उजागर कर सकता है. डिहाइड्रेशन की वजह से हाइपोवोलेमिया और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन ब्लड प्रेशर के नियंत्रण को बाधित कर सकता है. इससे मायोकार्डियल इस्किमिया का जोखिम बढ़ जाता है. इसके अलावा, हीट स्ट्रोक शरीर में सूजन के साथ ही एंडोथेलियल डिसफंक्शन और प्लेटलेट सक्रियता को बढ़ावा देती है. इससे हृदय संबंधी समस्या हो सकती है.
हीट स्ट्रोक में डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट गड़बड़ी व्यक्तियों की हार्ट बीट को अनियमित कर सकती है. इसमें वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया, वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन और एट्रियल फाइब्रिलेशन शामिल हैं. इस दौरान पोटेशियम की कमी, विशेष रूप से, हृदय की क्षमता और लय को बाधित करती है, कई घातक स्थिति बन सकती है.
हीट स्ट्रोक से हृदय संबंधी जटिलताओं को कम करने के लिए आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं. इसके अलावा, गर्मी से बचने के लिए जितना संभव हो दिन के समय बाहर न जाएं. जब गर्मी ज्यादा हो, तो उस समय छाता या सिर को अवश्य कवर करें. हीट स्ट्रोक से बचने के लिए जूस का सेवन करें.
-भारत एक्सप्रेस
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