कला-साहित्य

साहित्य जगत के दो नक्षत्र- मनोहर श्याम जोशी और शिवपूजन सहाय, जिन्होंने अपनी लेखनी से सामाजिक कुरीतियों पर की चोट

भारतीय धारावाहिक के पितामह नाम से विख्यात आधुनिक हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार मनोहर श्याम जोशी का जन्म 9 अगस्त, 1933 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था.

मनोहर श्याम जोशी उन लोगों के लिए एक जाना-पहचाना नाम है, जो 1980 के दशक में दूरदर्शन पर मुख्य रूप से नजर आए. ‘हम लोग’, ‘हमराही’, ‘जमीन आसमान’, ‘बुनियाद’, ‘गाथा’, ‘काकाजी कहिन’ और ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ जैसे धारावाहिकों के लेखक मनोहर श्याम जोशी ने भारतीय टेलीविजन पर धारावाहिकों के युग की शुरुआत की. मनोहर श्याम जोशी उपन्यासकार थे और आम लोगों पर उनकी पकड़ ने उन्हें टेलीविजन का दीवाना बना दिया.

हम लोग धारावाहिक

उनका ‘हम लोग’ घर -घर इतना लोकप्रिय हुआ कि इसके 156 एपिसोड प्रसारित किए गए. मनोहर श्याम जोशी ने इस धारावाहिक की पटकथा लिखी थी. फिल्मकार पी. कुमार वासुदेव ने इसका निर्देशन किया.

जो लोग 2000 के बाद टीवी देखते हुए बड़े हुए हैं, उनके लिए यह कल्पना करना मुश्किल होगा कि जोशी जी ने धारावाहिक लेखन में किस तरह की कला का इस्तेमाल किया. जोशी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की, जहां उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातक और परास्नातक की डिग्री प्राप्त की. उनकी शैक्षणिक गतिविधियों ने उनके भविष्य के साहित्यिक प्रयासों के लिए एक मजबूत नींव रखी.

मनोहर श्याम जोशी की कुछ किताबें.

पत्रकार भी रहे थे

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जोशी ने एक लेखक और पत्रकार के रूप में अपना शानदार करिअर शुरू किया. उन्होंने हिंदी अखबार ‘जनसत्ता’ से पत्रकारिता की शुरुआत की, जहां उन्होंने अपने व्यावहारिक लेखन और समाज के प्रति गहरी टिप्पणियों के लिए जल्द ही पहचान बना ली. उनकी पत्रकारिता अक्सर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित होती थी, जो आम लोगों के कल्याण के प्रति चिंता को दर्शाता था.

उन्होंने कई उपन्यास, लघु कथाएं, नाटक और निबंध लिखे. उनकी रचनाओं में अक्सर भारतीय समाज की जटिलताओं के साथ विविधताओं का का पुट देखने को मिलता था. जिसमें परंपरा, आधुनिकता और मानवीय संबंधों जैसे विषय मुख्य तौर पर शामिल होते थे. मनोहर श्याम जोशी के व्यंग्य बोध का फलक बहुत बड़ा था, जो उनकी रचनाओं के गागर में सागर भरने जैसा था.


ये भी पढ़ें: भीष्म साहनी की लेखनी में दिखा समाज का आईना, हिंदी साहित्य में दिया है बहुमूल्य योगदान


कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले

जोशी की साहित्यिक प्रतिभा को व्यापक रूप से मान्यता मिली और उन्हें अपने करिअर के दौरान कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले. 2002 में उन्हें अपने उपन्यास ‘मित्रों की मित्र’ के लिए भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कारों में से एक साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

जोशी अपने पूरे जीवन में हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध रहे और उन्होंने कई लेखकों के मार्गदर्शक के रूप में काम किया. भारतीय साहित्य के प्रति उनका समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनका मार्च 2006 में दिल्ली में हृदयगति रुकने से निधन हो गया था.

सच्चे गांधीवादी थे शिवपूजन सहाय

बात शिवपूजन सहाय की. साहित्य जगत में ‘हिंदी भूषण’ के नाम से विख्यात शिवपूजन सहाय एक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार, संपादक और गद्य लेखक थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य की विशिष्ट सेवा की. 9 अगस्त, 1893 को बिहार के बक्सर जिले के एक गांव उनवास में जन्मे शिवपूजन सहाय एक सच्चे गांधीवादी थे. एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे शिवपूजन का बचपन में नाम भोलानाथ था.

शिवपूजन सहाय की लिखीं कुछ किताबें.

वे महान संपादकों में से एक थे, जिन्होंने स्वतंत्रता-पूर्व और बाद 13 पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया. उनकी ओर से प्रकाशित कुछ पत्रिकाओं में मतवाला, समन्वय, मौजी, गोलमाल, उपन्यास तरंग, बालक, माधुरी और हिमालय शामिल हैं, जो हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में एक मील का पत्थर हैं. उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा और प्रेमचंद की रंगभूमि का भी संपादन किया.

महिलाओं के शोषण का मुद्दा उठाया

शिवपूजन सहाय ने ‘माता का आंचल’ जैसी पुस्तक लिखी थी, जो मां-बेटे के रिश्ते पर आधारित थी, जिसे काफी सराहना भी मिली. इसके साथ भीष्म, अर्जुन, मां के सपूत, आदर्श परिचय जैसी पुस्तकों का भी कुशलतापूर्वक संपादन किया. उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से महिला शोषण और ग्रामीण समस्याओं का मुद्दा जोरशोर से उठाया. प्रगतिशील विचारों के समर्थक और देशभक्त होने के साथ वह अपनी रचनाओं के जरिये धार्मिक मूल्यों के पतन पर प्रहार करते थे.

उन्होंने 1926 में सबसे पहला क्षेत्रीय उपन्यास ‘देहाती दुनिया’ लिखा. गांव की संस्कृति, उस काल के सामाजिक जीवन को दर्शाता यह उपन्यास प्रेमचंद के महान उपन्यास ‘गोदान’ से बहुत पहले प्रकाशित हुआ था. वे हिंदी के उन चंद लेखकों में से एक थे जिन्होंने भोजपुरी क्षेत्र की स्थानीय बोलियों और मुहावरों का इस्तेमाल किया.

पद्म भूषण से सम्मानित

‘हिंदी पुनर्जागरण’ के अग्रदूत के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले शिवपूजन सहाय को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई बार सम्मानित किया गया और 1960 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. 21 जनवरी 1963 को उनका निधन हो गया, लेकिन विरासत के रूप में उनकी रचनाएं हमारे बीच आज भी मौजूद है.

संत और अजातशत्रु कहा गया

साल 1963 में जब उनका निधन हुआ, तो हरिवंश राय बच्चन ने उनकी याद में एक कविता लिख उन्हें श्रद्धांजलि दी. उनके तमाम आलोचकों ने उन्हें ‘संत’ की संज्ञा दी और उन्हें हिंदी साहित्य का ‘अजातशत्रु’ और ‘दधीचि’ कहा.

राष्ट्रकवि दिनकर ने यहां तक कहा कि शिवपूजन सहाय की सोने की प्रतिमा लगाई जाए और उस पर हीरे मोती जड़े जाएं, तब भी साहित्य जगत में दिए गए उनके योगदान की भरपाई नहीं की जा सकती. उन्हें सम्मानित करने के लिए भारतीय डाक विभाग ने 1998 में उनकी 105वीं जयंती पर एक स्मारक टिकट जारी किया था.

-भारत एक्सप्रेस

आईएएनएस

Recent Posts

दिल्ली हाईकोर्ट ने AIMIM की मान्यता रद्द करने की याचिका को किया खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने असद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम को राहत देते हुए उसकी निवार्चन…

8 hours ago

PM Modi ने गुयाना में Mahatma Gandhi को दी श्रद्धांजलि, 21वां अवसर जब परदेश में राष्ट्रपिता को नमन किया

PM Modi Pays Tribute to Gandhi Ji: प्रधानमंत्री मोदी ने गुयाना की दो दिवसीय यात्रा…

8 hours ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने DDA और MCD को राजधानी में सीमा निर्धारण और सर्वेक्षण के दिए निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) एवं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को निर्देश दिया…

9 hours ago

टेरर फंडिंग मामले में राशिद इंजीनियर के खिलाफ राऊज एवेन्यू कोर्ट में होगी सुनवाई

आतंकवाद-वित्तपोषण से संबंधित मुकदमे का सामना कर रहे जम्मू कश्मीर से लोकसभा सदस्य इंजीनियर रशीद…

9 hours ago

PM Modi In Guyana: अफ्रीकी संसद में PM मोदी का विशेष संबोधन, बोले- हमारा रिश्ता आत्मीयता से भरा हुआ

पीएम मोदी ने गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया, जो उनके वैश्विक…

9 hours ago

भारतीय टीम में शामिल होने के बाद पडिक्कल ने कहा, ‘मुझे अब तक विश्वास नहीं हो रहा’

घरेलू और ए-स्तरीय क्रिकेट में अपने निरंतर प्रदर्शन से प्रभावित करने वाले 24 वर्षीय खिलाड़ी…

9 hours ago