नोबेल पुरस्कार मिला तो दुनिया में छाया Han Kang का नाम, अब किताबों की बिक्री ने तोड़ा रिकॉर्ड, बिकी लाखों प्रतियां
कांग ने गुरुवार को साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता, जिससे वह यह बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वालीं पहली दक्षिण कोरियाई बन गई और कोरियाई साहित्य की वैश्विक मान्यता के लिए मार्ग प्रशस्त किया.
Nobel Prize 2024: दक्षिण कोरियाई लेखिका हेन कांग को मिला साहित्य में नोबेल पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार 2024 के लिए सबसे पहले मेडिसिन फिर केमेस्ट्री और अब साहित्य के लिए नाम का ऐलान किया गया है.
कौन हैं बालमणि अम्मा, जिन्हें कहा जाता है ‘मलयालम साहित्य की दादी’, बिना स्कूल गए लिखी थीं 500 से ज़्यादा कविताएं
बालमणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1909 का जन्म केरल के एक रुढ़िवादी परिवार में हुआ था, जहां लड़कियों को स्कूल भेजना अनुचित माना जाता था.
प्रभा खेतान: जिन्होंने स्त्री विमर्श को दी नई आवाज; रचनाओं में मिलता है बोल्ड और निर्भीक औरत का चित्रण
स्त्रियों को एक स्त्री ही समग्रता से समझ सकती है और प्रख्यात साहित्यकार प्रभा खेता ने साहित्य साधना में स्त्री के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और नैतिक मूल्यों को गहराई से समझा था.
शरद जोशी: समाज, सरकार और सिस्टम पर व्यंग्य बाण चलाने वाला अनूठा साहित्यकार
व्यंग्यकार शरद जोशी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि चुने हुए मुख्यमंत्रियों की तीन जात होती हैं. एक तो काबिलियत से चुने जाते हैं, दूसरे वे जो गुट, जाति, रुपयों आदि के दम जीतते हैं और तीसरे वे, जो कोई विकल्प न होने की स्थिति में चुन लिए जाते हैं.
हरिशंकर परसाई: गाय का ‘धर्म’ और राजनीति का ‘मर्म’ समझाने वाले व्यंग्यकार
प्रख्यात लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई लिखते हैं कि निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं. निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है.
साहित्य जगत के दो नक्षत्र- मनोहर श्याम जोशी और शिवपूजन सहाय, जिन्होंने अपनी लेखनी से सामाजिक कुरीतियों पर की चोट
प्रख्यात लेखक मनोहर श्याम जोशी को ने भारतीय टेलीविजन पर धारावाहिकों के युग की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है. शिवपूजन सहाय हिंदी के उन चंद लेखकों में से एक थे, जिन्होंने भोजपुरी क्षेत्र की स्थानीय बोलियों और मुहावरों का इस्तेमाल अपनी लेखनी में किया.
भीष्म साहनी की लेखनी में दिखा समाज का आईना, हिंदी साहित्य में दिया है बहुमूल्य योगदान
प्रख्यात रचनाकार भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था. अपनी अद्भुत लेखनी के दम पर उन्होंने समाज के हर चेहरे को अपने नाटकों, कहानियों और उपन्यासों में उतारा.
World Book Fair 2024: पुस्तकों के लोकार्पण, साहित्यिक चर्चाओं और पुस्तक प्रेमियों से गुलजार हुआ विश्व पुस्तक मेला
बाल मंडप के एक अन्य सत्र में, प्रख्यात कथाकार सिम्मी श्रीवास्तव ने "राजा की मूंछें" कहानी सुनाई. जीवन में विनम्रता और मुस्कुराहट का कितना महत्व है.