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Literature

Bharat Literature Festival: अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने आज भारत लिटरेचर फेस्टिवल में अपने अनुभव साझा किए. इस अवसर पर उन्‍हें भारत एक्‍सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय की पुस्‍तकें ‘हस्तक्षेप’ और ‘नजरिया’ भेंट की गईं. यहां वीडियो में उनका वक्‍तव्‍य सुनिए.

भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने पुणे लिट फेस्ट में पुस्तकों का महत्व समझाया. उन्होंने AI के समाज से जुड़ाव पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मौजूदा परिवेश में किताबों और AI का महत्व बहुत अधिक है.

कांग ने गुरुवार को साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता, जिससे वह यह बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वालीं पहली दक्षिण कोरियाई बन गई और कोरियाई साहित्य की वैश्विक मान्यता के लिए मार्ग प्रशस्त किया.

नोबेल पुरस्कार 2024 के लिए सबसे पहले मेडिसिन फिर केमेस्ट्री और अब साहित्य के लिए नाम का ऐलान किया गया है.

बालमणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1909 का जन्म केरल के एक रुढ़िवादी परिवार में हुआ था, जहां लड़कियों को स्कूल भेजना अनुचित माना जाता था.

स्त्रियों को एक स्त्री ही समग्रता से समझ सकती है और प्रख्यात साहित्यकार प्रभा खेता ने साहित्य साधना में स्त्री के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और नैतिक मूल्यों को गहराई से समझा था.

व्यंग्यकार शरद जोशी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि चुने हुए मुख्यमंत्रियों की तीन जात होती हैं. एक तो काबिलियत से चुने जाते हैं, दूसरे वे जो गुट, जाति, रुपयों आदि के दम जीतते हैं और तीसरे वे, जो कोई विकल्प न होने की स्थिति में चुन लिए जाते हैं.

प्रख्यात लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई लिखते हैं कि निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं. निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है.

प्रख्यात लेखक मनोहर श्याम जोशी को ने भारतीय टेलीविजन पर धारावाहिकों के युग की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है. शिवपूजन सहाय हिंदी के उन चंद लेखकों में से एक थे, जिन्होंने भोजपुरी क्षेत्र की स्थानीय बोलियों और मुहावरों का इस्तेमाल अपनी लेखनी में किया.

प्रख्यात रचनाकार भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था. अपनी अद्भुत लेखनी के दम पर उन्होंने समाज के हर चेहरे को अपने नाटकों, कहानियों और उपन्यासों में उतारा.