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पट्टाली मक्कल काची (PMK) के संस्थापक डॉ. एस. रामदास ने भी LIC पर सवाल उठाए हैं. पिछले कई महीनों से एमके स्टालिन और उनके डिप्टी उदयनिधि स्टालिन तमिल संस्कृति और भाषा के संरक्षण के बारे में बात कर रहे हैं.

आज राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत (NBT) के सभागार में हुए विशेष आयोजन के दौरान 'वर्तमान परिवेश में हिंदी की प्रासंगिकता' विषय पर व्याख्यान दिए गए. इसमें वरिष्ठ पत्रकार महेश दर्पण समेत कई लेखक शामिल हुए.

स्त्रियों को एक स्त्री ही समग्रता से समझ सकती है और प्रख्यात साहित्यकार प्रभा खेता ने साहित्य साधना में स्त्री के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और नैतिक मूल्यों को गहराई से समझा था.

हिंदी भाषा भले ही अब तक राष्ट्रभाषा न बन पाई हो, लेकिन इसकी पहुंच अब तेजी के साथ लोगों के बीच हो रही है.

व्यंग्यकार शरद जोशी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि चुने हुए मुख्यमंत्रियों की तीन जात होती हैं. एक तो काबिलियत से चुने जाते हैं, दूसरे वे जो गुट, जाति, रुपयों आदि के दम जीतते हैं और तीसरे वे, जो कोई विकल्प न होने की स्थिति में चुन लिए जाते हैं.

प्रख्यात लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई लिखते हैं कि निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं. निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है.

प्रख्यात लेखक मनोहर श्याम जोशी को ने भारतीय टेलीविजन पर धारावाहिकों के युग की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है. शिवपूजन सहाय हिंदी के उन चंद लेखकों में से एक थे, जिन्होंने भोजपुरी क्षेत्र की स्थानीय बोलियों और मुहावरों का इस्तेमाल अपनी लेखनी में किया.

प्रख्यात रचनाकार भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था. अपनी अद्भुत लेखनी के दम पर उन्होंने समाज के हर चेहरे को अपने नाटकों, कहानियों और उपन्यासों में उतारा.

महाकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त, 1886 को झांसी के चिरगांव में हुआ था. वह आधुनिक हिन्दी के सबसे महत्वपूर्ण कवियों में से एक थे.

21 जून से 29 जुलाई तक पर्वतीय इलाकों में पुस्तक परिक्रमा की जाएगी. जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी और हिमाचली भाषा में प्रकाशित पुस्तकें पाठकों के लिए सस्ती दरों पर भी मिलेंगी.