Bharat Express

पीएम मोदी ने नौकरशाही और अन्य सरकारी संस्थानों में राजनीतिक परिवारों के प्रभाव को कम करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं.

अडानी पोर्ट्स की अभूतपूर्व सफलता भारत की आर्थिक उदारीकरण नीतियों की सफलता का प्रतिबिंब है. भारत में अब 7500 किमी लंबी तटरेखा के साथ 12 प्रमुख और 200+ गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं.

चीनी आक्रामकता, भारत की त्वरित, दृढ़ प्रतिक्रिया और 3 वर्षों के गतिरोध से चीन को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ है.

पीएम मोदी के गतिशील नेतृत्व के तहत भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन ये दर्शाते हैं यह अब एक 'सॉफ्ट स्टेट' नहीं है बल्कि एक मजबूत, मुखर देश है जो अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए साहसिक कदम उठाने को तैयार है.

अय्यर उन आलोचकों से असहमत हैं जो इस बात का दावा करते हैं कि अडानी मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर में कारोबार करते हैं, जहां वास्तविक प्रतिभा की तुलना में सरकार की अनुकूलता अधिक महत्वपूर्ण है.

हेज फंड मैनेजर और शॉर्ट सेलर जॉर्ज सोरोस ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की तारीफ की, क्योंकि उसे उम्मीद थी कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कमजोर करेगी. 

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कुछ सवाल उठाए गए हैं, जिस पर वाजिब प्रतिक्रिया जरूरी है. लेकिन, इन गंभीर सवालों को राजनीतिक किचड़ उछालने की कवायद तक सीमित रखना हमारे देश के लिए नुकसानदायक है.

अगर गौतम अडानी इतने ही खराब हैं तो अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, पिनराई विजयन और ममता बनर्जी ने उनके साथ अरबों डॉलर के निवेश की डील क्यों की? राजस्थान में गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाले प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है.

सोचने लायक बात ये भी है कि अगर अडानी समूह अपनी निर्माणाधीन परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं कर पाता है तो क्या होगा? इसका खामियाज़ा भारतीय अर्थव्यवस्था को भुगतना होगा।