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महा नवमी पर कन्या पूजन के लिए मिलेगा सिर्फ इतना समय, जानिए शुभ मुहूर्त और सही विधि

Navami Kanya Pujan: चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है. इसके बाद नवरात्रि व्रत के पारण करने का विधान है.

Navami kanya pujan

नवमी कन्या पूजन.

Chaitra Navratri 2024 Navami Kanya Pujan: नवरात्रि की नवमी तिथि बेहद खास होती है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के अलावा कन्या पूजन और हवन किया जाता है. हवन और कन्या पूजन के बाद नवरात्रि का व्रत की समाप्ति होती है. चैत्र मास की महा नवमी के दिन घर-घर में कन्या पूजन और हवन किया जाता है. इसके अलावा महा नवमी के दिन नवरात्रि व्रत का पारण भी किया जाता है. ऐसे में चैत्र नवरात्रि की महा नवमी तिथि, शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन के लिए
सही समय और विधि जानते हैं.

महा नवमी और कन्या पूजन कब है?

पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 16 अप्रैल यानी आज दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी. जबकि नवमी तिथि की समाप्ति 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर होगी. ऐसे में महा नवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी. इसके अलावा इस दिन नवरात्रि का पारण भी किया जाएगा.

महा नवमी पर कैसे करें कन्या पूजन?

  • नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए कन्याओं के एक दिन पहले निमंत्रण भेजें.
  • नवमी के दिन जब कन्याएं घर आए जाएं तो उनके पैर धोकर साफ-सुथरे स्थान पर बिठाएं.
  • कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम का टीका लगाएं.
  • मां दुर्गा का ध्यान करते हुए कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
  • कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार, दक्षिणा या उपहार प्रदान करें.
  • कन्या को भोजन कराने के बाद उन्हें विदा करने से पहले उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें.
  • महा नवमी के दिन 2 से 10 साल तक की कन्याओं को निमंत्रित करना चाहिए.
  • नवरात्रि के आखिरी दिन यानी महा नवमी को कन्याओं की संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए.
  • नवमी तिथि को 9 कन्याओं को भोजन कराने के साथ ही एक बालक को भी भोजन कराना चाहिए.

महा नवमी पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि की महा नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करें. पूजन के दौरा माता सिद्धिदात्री को लाल फूल अर्पित करें. इसके बाद मां दुर्गा के नौवें स्वरूप कुमकुम अर्पित करें. फिर माता को हलवा-पूड़ी का भोग लगाएं. मां दुर्गा के सामने दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. शतनाम स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं. इसके बाद मां सिद्धिदात्री के मंत्र का जाप करें. पूजन के अंत में माता सिद्धिदात्री की आरती करें.

मां सिद्धिदात्री मंत्र

ओम् देवी सिद्धिदात्र्यै नमः

माता सिद्धिदात्री स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

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