दक्षिण का काशी दक्षराम मंदिर,
Dakshin Ka Kashi Draksharamam Temple: वैसे तो देश में भगवान शिव के कई मंदिर हैं लेकिन कुछ धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां से कुछ खास रोचक कथाएं और प्रसंग जुड़े हैं. भीमेश्वर स्वामी मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे प्रसंग हैं जिसे जानकर ज्ञान-नेत्र खुल जाते हैं. भीमेश्वर स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश के दक्षराम में अवस्थित है. यह एक ऐसा प्रचीन हिंदू मंदिर है जो कि भगवान शिव के भीमेश्वर और मां पार्वती के मणक्यम्बा रूप को समर्पित है. इस मंदिर को दक्षिण का काशी (Dakshin Ka Kashi) भी कहा जाता है. आइए जानते हैं दक्षिण के काशी कहे जाने वाले दक्षराम भीमेश्वर स्वामी मंदिर से जुड़ी खास दिलचस्प बातें.
शिवलिंग पर है काली धारियां
दक्षराम मंदिर (Daksharamam Temple) भगवान शिव के ससुर और मां पार्वती के पिता राजा दक्ष के नाम पर पड़ा. दक्षिण के पंचराम मंदिरों में से एक भीमेश्वर स्वामी मंदिर के मुख्य देवता भीमेश्वर स्वामी और देवी मणिक्यम्बा हैं. इस मंदिर में भगवान शिल लिंग रूप में विराजमान हैं. यहां स्थापित शिवलिंग औरों से बिल्कुल अलग है क्योंकि इस शिवलिंग पर काली धारियां हैं. शिव मंदिर के पीछे भगवती मणिक्यम्बा का मंदिर स्थित है. इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां भगवती और भगवान दोनों को समान रूप दिया गया है. इस मंदिर को अठारह शक्तिपीठों में भी शामिल गया है.
यहां मां पार्वती के पिता ने किया था यज्ञ
इस मंदिर जुड़ा खास प्रसंग यह है कि यहां दक्ष प्रजापति ने नीरेश्वर नामक एक यज्ञ किया था. इस स्थान को दक्ष आश्रम के नाम से भी जाना जाता है. जहां आज भी तीर्थयात्री तीर्थाटन के लिए पहुंचते हैं.
दक्षरामम मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां दक्ष यज्ञ हुआ था. कहते हैं कि इस स्थान पर पहले भगवान वीरभद्र ने पहले असुरों का विनाश किया था. जिसके बाद भगवान शिव ने इस स्थान को पवित्र किया था.
भीमेश्वर स्वामी मंदिर का जीर्णोद्धार चालुक्यों ने करवाया था. मंदिर में ‘सप्त गोदावरी’ नाम से एक पुष्करणी है. जिसको बनाने के लिए सप्त ऋषियों ने सात अलग-अलग पवित्र नदियों से जल लाया था.
दक्षराम मंदिर कहां है
दक्षराम मंदिर, पंच पंचराम क्षेत्रों में से एक है. यह मंदिर 18 शक्तिपीठों में से 12वां है. दक्षिण के काशी के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर आंध्र प्रदेश के कोनसीमा जिले के द्रक्षारामम शहर में है.
‘पंचराम’ में शामिल हैं ये मंदिर
दक्षिण के पंचराम मंदिरों में सोमराम, अमरराम, क्षीरराम और कुमारराम और द्रक्षाराम शामिल हैं. कहते हैं कि जब तारकासुर का वध किया तो इस क्षेत्र (पंचराम) की उत्पत्ति हुई.
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