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Jaya Ekadashi 2025: 7 या 8 फरवरी.. कब है जया एकादशी? जानिए इसके व्रत से जुड़े नियम

मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या जैसे पापों का प्रायश्चित होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, भूत, पिशाच और अन्य नकारात्मक योनियों से मुक्ति मिलती है. तो आइए जानते हैं जया एकादशी कब है, इसके व्रत के नियम और सावधानियों के बारे में.

Jaya Ekadashi 2025

Jaya Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिकमहत्व है और यह हर महीने दो बार मनाई जाती है—एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. साल में कुल 24 एकादशी होती हैं. माघ माह की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है, जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और सफलता का वास होता है. साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के समक्ष दीप जलाकर नाम जाप करने का भी महत्व है.

मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या जैसे पापों का प्रायश्चित होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, भूत, पिशाच और अन्य नकारात्मक योनियों से मुक्ति मिलती है. तो आइए जानते हैं जया एकादशी कब है, इसके व्रत के नियम और सावधानियों के बारे में.

जया एकादशी कब है?

इस साल जया एकादशी 8 फरवरी, शनिवार को रात 09 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 8 फरवरी को रात 08 बजकर 14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के कारण जया एकादशी 8 फरवरी को मनाई जाएगी. व्रत का पारण 9 फरवरी की सुबह होगा.

व्रत के नियम

जया एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है—निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत सामान्य रूप से, केवल स्वस्थ व्यक्ति को ही निर्जल व्रत करना चाहिए, जबकि सामान्य व्यक्ति फलाहारी व्रत रखें. इस व्रत में भगवान श्री कृष्ण की उपासना विशेष रूप से फलदायी होती है. इस दिन फल, पंचामृत और जल का सेवन करना श्रेष्ठ माना जाता है.

जया एकादशी पर क्या करें, क्या न करें?

  • जया एकादशी के दिन जरूरतमंदों की मदद करने का संकल्प लें.
  • पीपल और केले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं.
  • तामसिक आहार, विचार और व्यवहार से दूर रहें.
  • इस दिन मन को भगवान कृष्ण की भक्ति में लगाए रखें.
  • यदि स्वास्थ्य ठीक न हो, तो उपवास न रखें और केवल व्रत के नियमों का पालन करें.

जानें नियम और सावधानियां

  • इस दिन कुपात्र को दान न दें.
  • दान देने वाली वस्तुएं उत्तम कोटि की हों.
  • कुंडली में महत्वपूर्ण ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान न करें.
  • दान करते समय यह भावना रखें कि यह वस्तु ईश्वर की दी हुई है और मैं इसे ईश्वर की सेवा में दे रहा हूं.

इस प्रकार, जया एकादशी का व्रत जीवन में शुभता, सुख और समृद्धि लाने वाला है, और इसके सही पालन से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं.

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-भारत एक्सप्रेस 



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