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कमरे में मृत पाए गए पूर्व हॉकी खिलाड़ी राजीव मिश्रा, जूनियर वर्ल्ड कप में कमाया था खूब नाम, मगर चोट के बाद फेडरेशन ने फेर लिया मुंह

1997 में लंदन में जूनियर विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के बाद राजीव को भारतीय हॉकी का अगला बड़ा सितारा माना जाने लगा था.

rajeev mishra

राजीव मिश्रा

Rajeev Kumar Mishra: भारत के पूर्व जूनियर हॉकी खिलाड़ी राजीव कुमार मिश्रा रहस्यमय परिस्थितियों में वाराणसी के सरसौली इलाके में अपने आवास पर मृत पाए गए. उनके घर से बदबू आने के बाद पड़ोसियों ने पुलिस को इसकी सूचना दी. सूत्रों के मुताबिक 46 वर्षीय राजीव की मौत कुछ दिन पहले ही हुई होगी. एक समय भारतीय हॉकी के अगले स्टार के तौर पर देखे जाने वाले राजीव इस तरह दुनिया को अलविदा कह देंगे, शायद ही किसी ने सोचा होगा. वाराणसी में उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में सीआईटी के पद पर तैनात होने के कारण वह अकेले रहते थे. उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं, जो लखनऊ में रहते हैं.

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने राजीव के दुखद निधन पर शोक व्यक्त किया. टिर्की ने ट्वीट किया, ‘‘प्रतिभाशाली पूर्व जूनियर अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी राजीव मिश्रा के असामयिक निधन के बारे में सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है. खेल के प्रति उनका जुनून और समर्पण वास्तव में प्रेरणादायक था. उनके परिवार, दोस्तों और पूरे हॉकी समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है.’’ बिहार के हाजीपुर के लीलुदाबैत गांव के रहने वाले राजीव अपने घुंघराले लंबे बालों के लिए प्रसिद्ध थे.

1997 में लंदन में जूनियर विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के बाद राजीव को भारतीय हॉकी का अगला बड़ा सितारा माना जाने लगा था. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. लोगों को लगता था कि एस्ट्रो टर्फ में इस खिलाड़ी के करीब भी कोई नहीं होगा और यह हॉकी में अलग मुकाम हासिल करेगा. लेकिन हर सपना पूरा नहीं होता है और राजीव को बुलंदियों पर देखने का उनके चाहने वालों का यह सपना भी अधूरा ही रह गया.

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फेडरेशन ने नहीं की मदद

राजीव के बचपन के कोच प्रेम शंकर शुक्ला ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि राजीव की असामयिक मृत्यु भारतीय हॉकी के लिए एक बड़ा झटका है. वह असाधारण कौशल वाले हॉकी खिलाड़ी थे. नीदरलैंड में खेले गये 1998 विश्व कप में उनके घुटने में गंभीर चोट लगी गयी थी जिसके बाद उनका करियर परवान नहीं चढ़ सका. उन्हें उस समय खेल की तत्कालीन आईएचएफ से इलाज और रिहैबिलिटेशन के लिए मदद नहीं मिली थी.

शुक्ला ने कहा कि आईएचएफ ने राजीव का बिल्कुल भी समर्थन नहीं किया. उन्होंने कभी भी उसके मेडिकल खर्च या किसी भी चीज का ख़्याल नहीं रखा. वह इसके बाद गुमनामी में चला गया. किसी ने उसकी परवाह नहीं की और इस तरह से हमने एक उभरता हुआ सितारा खो दिया.

-भारत एक्सप्रेस



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