खेल मंत्री, मनसुख मांडविया.(फाइल फोटो)
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है. इस फैसले के खिलाफ कई पहलवान केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया के घर के बाहर बैठे हैं. पहलवानों का आरोप है कि पिछले कई महीनों से वो तैयारी कर रहे हैं लेकिन इस फैसले ने उनकी सभी उम्मीदें तोड़ दी हैं.
खेल मंत्रालय की वजह से नाम वापस लिया
भारत विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप से बाहर हो गया है. रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अपना नाम इस इवेंट से वापस ले लिया है, और इसका जिम्मेदार खेल मंत्रालय को ठहराया. खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है. डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है. डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था. इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है.”
कुछ पहलवानों की वजह से सबको नुकसान उठाना पड़ रहा
मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है का है. यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था. तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी हुई है. इस साल की विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं. भारतीय कुश्ती टीम के लिए यह एक महत्वपूर्ण आयोजन होने वाला था. लेकिन स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी. इन पहलवानों का कहना है कि कुछ पहलवानों की वजह से सबको नुकसान उठाना पड़ रहा है, जो जायज नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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