अदम गोंडवी : ‘जन जन के कवि’, जिनकी ‘गुर्राहट’ ने शोषित वर्ग की खामोशी को दी आवाज
नेताओं और अधिकारियों की सांठगांठ, सरकारी मशीनरी में लगा भ्रष्टाचार का जंग और इन सबसे त्रस्त आम इंसान. वह आम इंसान किस चीज को अपना आदर्श मानेगा, जिसकी सुबह-शाम जिंदगी की बुनियादी जरूरतों को तलाशते हुए डूब जाती हों.
अदम गोंडवी: सत्ता से मुठभेड़ करने वाला कवि, पंक्तियां आज भी नेताओं की नींद हराम करती हैं
(अमृत तिवारी) तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावे किताबी हैं. क्यों, हिल गए ना? आज के राग दरबारी काल में जब ऐसी पंक्ति पढ़ने को मिलेगी तो दिमाग चकराना लाजमी है. यही नहीं, कुछ और लाइनें ऐसी हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद हो सकता है आप …