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assembly election 2023

पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 की सफलता, जी-20 का सफल आयोजन और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अगले लक्ष्य का जिक्र भी किया है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों का प्रचार जोरों पर है. वोटर को लुभाने के लिए हर कोई तरह-तरह की घोषणाएं और दावे कर रहा है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में जातिगत जनगणना को लेकर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया। कांग्रेस जातीय गणना के पक्ष में है।

स्वास्थ्य कारणों के चलते शिवपुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर चुकीं यशोधरा राजे सिंधिया की सीट पर अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तेजी से सक्रिय हो गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपुरी सीट से अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ सकते हैं.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉक्टर संदीप पाठक ने कहा कि एक समय ऐसा होता था जब शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, बिजली और पानी जैसे मुद्दे किसी भी राजनीतिक पार्टियों के चुनाव का एजेंडा नहीं होते थे.

रिपोर्ट के अनुसार, सभी पांच राज्यों में मतदान की तारीखें अलग-अलग हो सकती हैं, जबकि पांचों राज्यों में वोटों की गिनती यानी मतगणना एक ही समय पर हो सकती है.

भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में अपनी 'चुनावी नैया' पार लगाने के लिए देश के तमाम राज्यों से पार्टी के शीर्ष नेताओं को मध्य प्रदेश बुलाया है. इनमें निशिकांत दुबे, सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा और केंद्रीय कानून राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल जैसे नेता शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ भाजपा ने प्रत्याशियों की सूची तय कर ली है। इसमें कई तरह के प्रयोग भी किए गए हैं। नए चेहरों को शामिल किया जा रहा है। अभी करीब 50 नामों पर मुहर लग चुकी है। ​​​​​राजनांदगांव से डा. रमन सिंह, लोरमी से अरुण साव, धरसीवां से अनुज शर्मा और बसना से संपत अग्रवाल का नाम लगभग तय माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस ने बड़ा ऐलान किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र में सरकार बनने के बाद सबसे पहले हम जातीय जनगणना का काम कराएंगे. उन्होंने कहा, जब मैं सवाल पूछता हूं कि देश में कितने दलित, ओबीसी, जनरल हैं तो कोई इसका जवाब नहीं दे पाता है.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच मणिपुर हिंसा बेकाबू होती जा रही है. देश की तमाम समस्याएं तब शांत हो जाती हैं जब चुनाव होते हैं. कोविड के दौरान जब जनता मास्क लगा रही थी, लोगों को भीड़ में जाने से मना किया जा रहा था, लेकिन नेताओं के लिए तब कोई कोरोना नहीं था. वे भारी - भरकम रैलियां मज़े से कर रहे थे.