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नियम लागू होने के बाद संशोधन के बाद करदाता अपने हिसाब से बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकेंगे. यानी कि जिस व्यवस्था के तहत उन्हें टैक्स कम पड़ेगा वो उसे चुन सकते हैं.