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पाकिस्तान सरकार की ओर से यह घोषणा इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के समक्ष की गई, जब वह कश्मीरी कवि और पत्रकार अहमद फरहाद शाह के अपहरण मामले की सुनवाई कर रहा था.