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संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की पूर्ण सदस्यता को लेकर भारी बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया. जिसके पक्ष में भारत सहित 143 देशों के वोटों का भारी बहुमत हासिल हुआ. 25 देशों ने इसमें भाग नहीं लिया, जबकि इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित नौ देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया. भारत ने फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाने संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया.
भारत ने किया समर्थन
भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उस मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें कहा गया है कि फलस्तीन इस वैश्विक संस्था का पूर्ण सदस्य बनने के योग्य है और उसे सदस्यता दी जानी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा के विशेष सत्र की सुबह आपातकालीन बैठक हुई, जहां मई महीने के लिए महासभा के अध्यक्ष संयुक्त अरब अमीरात ने वैश्विक संस्था में फलस्तीन की पूर्ण सदस्यता के समर्थन में अरब समूह का प्रस्ताव ‘संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्यों का प्रवेश’ प्रस्तुत किया.
फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए योग्य
भारत समेत 143 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, विरोध में नौ वोट पड़े जबकि 25 सदस्य अनुपस्थित रहे. मतदान के बाद यूएनजीए भवन तालियों से गूंज उठा. प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 4 के अनुसार “फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए योग्य है” और “इसलिए उसे सदस्यता दी जानी चाहिए.”
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भड़का इजरायल
इजरायल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज ने प्रस्ताव के पारित होने की तुरंत निंदा की और इसे एक “बेतुका निर्णय” बताया जो “संयुक्त राष्ट्र के संरचनात्मक पूर्वाग्रह” को उजागर करता है और 7 अक्टूबर को हमास के कार्यों को पुरस्कृत करता है. उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र हमारे पीड़ित क्षेत्र को संदेश भेज रहा है: हिंसा का फल मिलता है.” “संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनियों की स्थिति को उन्नत करने का निर्णय हमास के आतंकवादियों के लिए एक पुरस्कार है, क्योंकि उन्होंने प्रलय के बाद से यहूदियों का सबसे बड़ा नरसंहार किया था.”
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