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इन दो ब्रिटिश भारतीयों से King Charles ने वापस लिया सम्मान, जानें क्यों उठाया गया ये कदम

जिन लोगों ने सम्मान वापस लिए गए हैं, वे ब्रिटिश भारतीय समुदाय की दो प्रमुख हस्तियां हैं. इनके नाम Lord Rami Ranger और Anil Bhanot हैं.

अनिल भनोट और लॉर्ड रामी रेंजर.

Order of the British Empire Honours: ब्रिटेन की संसद के उच्च सदन के एक भारतीय मूल के सदस्य (Peer) और एक अन्य प्रमुख ब्रिटिश भारतीय व्यक्ति से ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर सम्मान छीन लिया गया है. कंजर्वेटिव पार्टी के सहकर्मी और ब्रिटेन स्थित उपभोक्ता सामान कंपनी सन मार्क के संस्थापक रमिंदर सिंह रेंजर (Raminder Singh Ranger) का कमांडर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (CBE) सम्मान, किंग चार्ल्स तृतीय (King Charles III) द्वारा ‘रद्द और निरस्त’ कर दिया गया, क्योंकि कथित तौर पर ‘सम्मान प्रणाली को बदनाम किया गया था’.

आदेश में क्या कहा

एक आधिकारिक सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है, ‘किंग चार्ल्स ने निर्देश दिया है कि 31 दिसंबर, 2015 को ब्रिटिश साम्राज्य के सबसे उत्कृष्ट आदेश के सिविल डिवीजन के कमांडर के रूप में बैरन रेंजर रमिंदर सिंह की नियुक्ति को रद्द कर दिया जाएगा और उनका नाम उक्त आदेश के रजिस्टर से मिटा दिया जाएगा.’

ऑफिसर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर


ब्रिटेन सरकार ने अनिल भनोट (Anil Bhanot) से ऑफिसर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर पुरस्कार भी वापस ले लिया, जो उन्हें जून 2010 में हिंदू समुदाय और अंतरधार्मिक संबंधों के लिए उनकी सेवाओं के लिए प्रदान किया गया था. भनोट Hindu Council UK से जुड़े हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार (6 दिसंबर) को ‘लंदन गजट’ में यह घोषणा की गई. दोनों से अपना प्रतीक चिह्न बकिंघम पैलेस को लौटाने के लिए कहा जाएगा.

ब्रिटेन की जब्ती कमेटी

इसे रद्द करने का निर्णय House of Lords द्वारा की गई जांच के बाद लिया गया है, जिसने पिछले साल निष्कर्ष निकाला था कि उन्होंने ‘धमकाने और उत्पीड़न’ से संबंधित संसदीय आचार संहिता का उल्लंघन किया था. हालांकि, यूके कैबिनेट ऑफिस की जब्ती कमेटी ने सम्मान रद्द करने की अपनी सिफारिश के पीछे के कारणों को स्पष्ट नहीं किया है. जब्ती कमेटी उन मामलों पर विचार करती है, जिनमें सम्मान धारक को सम्मान प्रणाली को बदनाम करने वाला माना जा सकता है. जब्ती संबंधी कमेटी की सिफारिशें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के माध्यम से राजा को सौंपी गईं.

क्या कहते हैं नियम


नियमों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी आपराधिक अपराध का दोषी पाया जाता है, या उसका आचरण नियामक या पेशेवर निकाय द्वारा उसकी निंदा का कारण बनता है, या कोई अन्य आचरण जो सम्मान प्रणाली को बदनाम करता है, तो उसका सम्मान वापस लिया जा सकता है.

अन्यायपूर्ण फैसला

बहरहाल रेंजर और भनोट ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया. कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक और ब्रिटेन स्थित एफएमसीजी फर्म सन मार्क लिमिटेड (Sun Mark Ltd) के संस्थापक, लॉर्ड रामी रेंजर के प्रवक्ता ने फैसले को ‘अन्यायपूर्ण’ बताया और कहा कि रेंजर इसे चुनौती देंगे.

रेंजर को दिसंबर 2015 की नए साल की सम्मान सूची में दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ओर से ब्रिटिश व्यापार और एशियाई समुदाय के लिए की गई सेवाओं के लिए सीबीई से सम्मानित किया गया था.

आचार संहिता का उल्लंघन


हालांकि यूके कैबिनेट कार्यालय की जब्ती समिति ऐसी सिफारिशों के पीछे अपने कारणों को स्पष्ट नहीं करती है, लेकिन यह कदम पिछले साल लॉर्ड्स जांच के बाद उठाया गया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि रेंजर ने ‘धमकाने और उत्पीड़न’ से संबंधित संसदीय आचार संहिता का उल्लंघन किया था. लॉर्ड रेंजर को ब्रिटिश व्यापार और एशियाई समुदाय के लिए उनकी सेवाओं के लिए दिसंबर 2015 के नए साल की सम्मान सूची में दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा CBE से सम्मानित किया गया था. यह ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर में तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है.

निर्यण को चुनौती देने पर विचार

लॉर्ड रामी रेंजर के नाम से प्रसिद्ध रमिंदर के प्रवक्ता ने इस निर्णय को ‘अन्यायपूर्ण’ करार दिया और कहा कि रेंजर इसे चुनौती देंगे. उन्होंने कहा, ‘लॉर्ड रेंजर ने कोई अपराध नहीं किया है और न ही उन्होंने कोई कानून तोड़ा है, जबकि इस तरह से अपना सम्मान रद्द करने वाले अधिकांश लोगों ने अपराध किया है या कानून तोड़ा है.’

प्रवक्ता ने आगे कहा कि वह अपने लिए खुले विभिन्न कानूनी रास्तों के माध्यम से अपील के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. लॉर्ड रेंजर अपने सीबीई के योग्य प्राप्तकर्ता थे. जिस तरह से यह उनसे छीना गया है, वह शर्मनाक है.

हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर ट्वीट


सामुदायिक सामंजस्य के लिए ओबीई सम्मान पाने वाले भनोट ने कहा कि जनवरी में जब्ती कमेटी ने उनसे संपर्क किया था और उन्होंने अपना पक्ष रखा था. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि यह ठीक रहेगा, लेकिन जाहिर तौर पर ऐसा नहीं हुआ.’ रिपोर्ट के मुताबिक, भनोट ने जानकारी दी कि इस्लामोफोबिया का आरोप लगाने वाली शिकायत, 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में उनके ट्वीट्स के बारे में थी. एक वेबसाइट ने इन ट्वीट्स के बारे में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान और चैरिटी कमीशन से शिकायत की थी और दोनों ने ही उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर बरी कर दिया था.

पता नहीं किसने शिकायत की

भनोट ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि जब्ती कमेटी से किसने शिकायत की. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उसने इस्लामोफोबिक कुछ भी कहा था.

भनोट ने कहा, ‘उस समय हमारे मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था और हिंदुओं पर हमला किया जा रहा था, लेकिन मीडिया इसका कवरेज नहीं कर रहा था. मुझे उन लोगों के लिए सहानुभूति महसूस हुई. मुझे लगा कि किसी को कुछ कहना चाहिए. यह वैसा ही था, जैसा कि अब हो रहा है, लेकिन छोटे पैमाने पर. मैं संवाद और विधायी उपायों की मांग कर रहा था. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया और न ही मैंने सम्मान प्रणाली को बदनाम नहीं किया. इंग्लैंड में अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अतीत की बात हो गई है. मैं इससे काफी परेशान हूं, क्योंकि यह एक सम्मान है, मुझे नहीं लगता कि उन्होंने मेरी दलील पर बिल्कुल भी ध्यान दिया.’

-भारत एक्सप्रेस



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