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अमेरिका के बाद अब ताइवान में भी देखा गया चीनी गुब्बारा, रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान

गृहयुद्ध के बीच 1949 में चीन से अलग होने के बाद ताइवान ने द्वीपों पर अपना नियंत्रण बनाए रखा और ऐसा माना जाता है कि ये द्वीप पहली रक्षा पंक्ति का काम करेंगे.

चीनी गुब्बारा

दुनिया के कई देशों में चीन द्वारा संदिग्ध जासूसी गुब्बारे भेजे जाने की बात कही है. अमेरिका के आरोपों के बाद अब ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि एक चीनी गुब्बारा उसके एक द्वीप पर भी मिला है. मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा कि गुब्बारे में चीन के ताइयुआन शहर में एक सरकारी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का पंजीकृत उपकरण हैं. उसने बताया कि यह गुब्बारा मत्सु द्वीप के तुंगयिन में चीन के फुजियान प्रांत के तट के पास मिला.

ताइवान ने नियंत्रण बनाए रखा

गृहयुद्ध के बीच 1949 में चीन से अलग होने के बाद ताइवान ने द्वीपों पर अपना नियंत्रण बनाए रखा और यदि चीन ताइवान को अपने अधीन लाने के लिए हमला करता है, तो ऐसा माना जाता है कि ये द्वीप पहली रक्षा पंक्ति का काम करेंगे. मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट में जिस ‘ताइयुआन वायरसेल (रेडियो) फर्स्ट फैक्ट्री लिमिटेड’ की पहचान की गई है, उसके एक प्रवक्ता लियू ने फोन पर बताया कि कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मुहैया कराए थे, लेकिन उसने गुब्बारा नहीं बनाया.

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क्या बोले प्रवक्ता लियू ?

लियू ने कहा कि ताइयुआन चीन के मौसम विज्ञान प्रशासन को उपकरण मुहैया कराने वाली कंपनियों में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यह गुब्बारा संभवत: मौसम की निगरानी के लिए रोजाना छोड़े जाने वाले गुब्बारों का हिस्सा था. उन्होंने कहा कि इसे शियामेन से छोड़ा गया होगा और इसका मार्ग निर्धारित नहीं किया गया होगा. लियू ने कहा कि 30,000 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचने के कारण इसकी हवा संभवत: प्राकृतिक रूप से निकली. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के गुब्बारे ताइवान जलडमरूमध्य में नियमित रूप से उड़ाए जाते हैं, लेकिन इन्होंने हाल में ध्यान आकर्षित किया है. प्रवक्ता ने केवल अपना उपनाम बताया.

ताइवान ने सैन्य खरीद बढ़ाई

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उपकरण पर जानकारी चीनी मुख्य भूमि में इस्तेमाल किए जाने वाले सरलीकृत चीनी अक्षरों में लिखी है. चीन ताइवान के हवाई क्षेत्र और ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा के पार अकसर सैन्य विमान और युद्धपोत भेजता है. इसके कारण ताइवान ने अमेरिका से सैन्य खरीद बढ़ा दी है व स्थानीय विमानों, पनडुब्बियों एवं लड़ाकू पोतों का घरेलू उत्पादन बढ़ा दिया है. साथ ही सभी पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य कर दी है.

-भारत एक्सप्रेस

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