पाकिस्तान में कट्टरपंथियों की भीड़ ने चर्च पर हमला कर दिया. चर्च को सरेआम आग लगाई और तोड़फोड़ मचा दी. हमले की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं. ईसाइयों के संगठन हमलों के विरोध में आवाज उठाने लगे हैं.
Attack On Church In Pakistan: पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम लोगों पर आए दिन जुल्मो-सितम की घटनाएं सामने आती रहती हैं. ताजा मामला फैसलाबाद (Faisalabad) के जरनवाला का है. जहां इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक चर्च को फूंक डाला. पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार को ईशनिंदा (Blasphemy) के आरोप में गुस्साई भीड़ ने चर्च को आग के हवाले कर दिया.
ईसाई लोगों ने लगाई सुरक्षा की गुहार
पाकिस्तान के बिशप मार्शल ने सोशल मीडिया पर अपने दर्द जाहिर किया. उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत दुख है कि पाकिस्तान में चर्च जलाए जा रहे हैं. बाइबिल का अपमान किया जा रहा है. उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट X (पूर्व में Twitter) पर लिखा, “जब मैं इसे लिख रहा हूं तो शब्द मेरे लिए असफल हो रहे हैं. हम, बिशप, पुजारी और आम लोग पाकिस्तान के फैसलाबाद जिले में जरनवाला घटना पर बहुत दुखी और व्यथित हैं. जैसे ही मैं यह संदेश टाइप कर रहा हूं, एक चर्च की इमारत जलाई जा रही है. बाइबिल का अपमान किया गया है और ईसाइयों पर पवित्र कुरान का उल्लंघन करने का झूठा आरोप लगाया गया है और उन्हें प्रताड़ित किया गया है.”
बिशप मार्शल ने दुनिया से सुरक्षा और न्याय की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा है, “हम कानून प्रवर्तन और न्याय प्रदान करने वालों से न्याय और कार्रवाई की मांग करते हैं और सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए तुरंत हस्तक्षेप की गुजारिश करते हैं.”
Words fail me as I write this. We, Bishops, Priests and lay people are deeply pained and distressed at the Jaranwala incident in the Faisalabad District in Pakistan. A church building is being burnt as I type this message. Bibles have been desecrated and Christians have been… pic.twitter.com/xruE83NPXL
— Bishop Azad Marshall (@BishopAzadM) August 16, 2023
पाकिस्तान और कट्टरपंथ
पाकिस्तान का जन्म यूं तो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर ही हुआ था. 1947 में इस देश के वजूद में आने का एक मात्र कारण ही सांप्रदायिक सोच थी. यही वजह है कि बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में जहां 23 फीसदी अल्पसंख्यक थे, वो अब मात्र 3 फीसदी रह गए हैं और इसमें हिंदू, सिख, इसाई, पारसी आदि शामिल हैं.
कागजी तौर पर यहां के हुक्मरानों ने इसे 1973 में इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया. यहां के संविधान के अनुच्छेद 2 में बाकायदा कहा गया है कि पाकिस्तान का राजकीय धर्म इस्लाम है. अनुच्छेद 41 (2) के मुताबिक यहां का राष्ट्रपति सिर्फ और सिर्फ मुसलमान ही होगा. इसके अलावा अनुच्छेद 91 के मुताबिक इस देश का प्रधानमंत्री भी सिर्फ मुसलमान हो सकता है. 1980 के दौरान जनरल जिया-उल-हक़ के दौर में संविधान के भीतर शरिया कानून के तहत कई सारे संशोधन किए गए.
जागरुक मुस्लिमों ने किया अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों का विरोध
कुल मिलाकर पाकिस्तान में इस्लामिक मजहब के नाम पर कट्टरपंथ का बोलबाला है और इसकी सजा अल्पसंख्यकों के साथ-साथ तरक्की पसंद लोग भुगत रहे हैं. फैसलाबाद में चर्च जलाने की घटना की यहां के जागरूक मुस्लिम समाज ने भी विरोध किया है. कई लोग सोशल मीडिया पर इसको लेकर शर्म बयां कर रहे हैं और दुख जता रहे हैं कि अगली पीढ़ी इन कट्टरवादियों के प्रभाव में बड़ी होगी.
आए रोज हिंदुओं पर भी जुल्म ढाए जाने की खबरें
गौरतलब है कि पाकिस्तान में वैसे तो अल्पसंख्यक सिर्फ नाम मात्र के रह गए हैं. लेकिन, जो हैं वो लागातर डर और खौफ के साये में जी रहे हैं. पंजाब से तो हिंदू और सिख पहले से ही गायब हैं. बचे-खुचे सिंध प्रांत में रहने वाले हिंदुओं पर भी जुल्म ढाए जाने की खबरें सामने आती रही हैं. अल्पसंख्यक समाज की लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन करके शादी कराना, मीडिया में सुर्खियां बनती हैं. हालांकि, पाकिस्तान के कुछ समझदार लोग चर्च जलाने की घटना की निंदा कर रहे हैं और वैश्विक स्तर पर अपने शर्म का इजहार कर रहे हैं.
آج جڑنوالہ میں عیسائی فیملی پر توہین قرآن کا الزام لگا اور لوگوں نے چرچ اور سرکاری عمارتیں توڑ دی
اس مذہبی شدت پسندی کا شائد ہی پاکستان میں کوئی حل ہو سکے اب ہماری آنے والی نسلوں کو اس شدت پسندی کے ساتھ ہی جینا ہو گا pic.twitter.com/OcA5hT9Cwk— Khurram (@Khurram_zakir) August 16, 2023
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान गई अंजू पर बनेगी फिल्म ‘मेरा अब्दुल ऐसा नहीं’, जानें किसने किया यह ऐलान?
राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा मुल्क
बहरहाल, पाकिस्तान इन दिनों राजनीतिक अस्थिरता के दौर से भी गुजर रहा है. लेकिन, कहा जा सकता है कि इसके लिए भी मजहबी जमातें काफी हद तक जिम्मेदार हैं. इस्लामिक कट्टरवाद का ही असर है कि यह देश अपनी तकदीर सही करने से पहले दूसरों के मामले में टांग अड़ाता रहता है. चाहें वो बिन लादेन का मसला हो या फिर फिलीस्तीन का.
— भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.