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TTP क्या है…जिसे हर कीमत पर खत्म करना चाहता है PAKISTAN, कहीं अफगानिस्तान बनने का तो डर नहीं?

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) 2007 में अस्तित्व में आया. इसका उद्देश्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के खिलाफ आतंकवादी अभियान चलाकर पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है.

Terrorist attack

सांकेतिक तस्वीर.

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) आज पाकिस्तान के सामने बहुत बड़े खतरे के रूप में सामने खड़ा है. TTP की वजह से इस्लामाबाद को अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक तक करनी पड़ी है.

लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर TTP क्या है, इसका मकसद क्या है? क्यों पाकिस्तान इसे खत्म करना चाहता है?

2007 में बना यह खूंखार संगठन

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का गठन 2007 में पाकिस्तान में अलग-अलग रूप से एक्टिव विभिन्न चरमपंथी गुटों के साथ आने से हुआ. दिसंबर 2007 में बैतुल्लाह महसूद (जिसकी मौत हो चुकी है) के नेतृत्व में TTP के अस्तित्व की आधिकारिक घोषणा की गई.

यह कदम दरअसल फेडरल प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (FATA) में अल-कायदा आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तानी सैन्य अभियान के जवाब में उठाया गया था.

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अफगान तालिबान से जुगलबंदी

TTP का वर्तमान नेता नूर वली महसूद है, जिसने सार्वजनिक रूप से अफगान तालिबान के प्रति निष्ठा जताई है. दोनों तालिबान एक समान विचारधारा साझा करते हैं लेकिन दोनों समूहों के पास अलग-अलग ऑपरेशन और कमांड संरचनाएं हैं.

TTP का उद्देश्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के खिलाफ आतंकवादी अभियान चलाकर पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है. मीडिया रिपोट्स् के मुताबिक यह पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को हटाकर इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या के आधार पर एक कट्टरवादी शासन की नींव रखना चाहता है.

वो इलाका जहां होती है लड़ाकों की भर्ती

TTP का गढ़ अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के आसपास का जनजातीय क्षेत्र है, जहां से वह अपने लड़ाकों की भर्ती करता है.

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यह आतंकवादी समूह पाकिस्तान में कुछ सबसे खूनी हमलों के लिए जिम्मेदार है. यह नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर गोली चलाने की घटना में भी शामिल था. 2012 में तालिबान द्वारा महिलाओं को शिक्षा से वंचित करने के प्रयासों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए मलाला पर गोली चलाई गई थी. हमले में वह बच गई थी.

पाकिस्तानी तालिबान की ताकत कितनी है इस बारे में अलग-अलग अनुमान लगाए जाते रहे हैं.

सबसे बड़ा सूचीबद्ध आतंकी संगठन

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग में पाकिस्तानी राजनयिक उस्मान इकबाल जादून ने कहा, “6,000 लड़ाकों के साथ TTP अफगानिस्तान में सक्रिय सबसे बड़ा सूचीबद्ध आतंकवादी संगठन है. हमारी सीमा के नजदीक सुरक्षित ठिकानों के साथ, यह पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए एक सीधा और दैनिक ख़तरा है.”

अगस्त 2021 में तालिबान के फिर से काबुल की सत्ता पर कब्जा करने के बाद TTP ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी. अफगान तालिबान और पाकिस्तान के गहरे रिश्ते TTP की वजह से बेहद खराब हो गए.

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काबुल पर TTP को पनाह देने का आरोप

हाल के दिनों में, इस्लामाबाद ने बार-बार अफगान सरकार पर TTP को पनाह देने का आरोप लगाया है. हालांकि काबुल इस्लामाबाद के दावे को खारिज करता रहा है.

हालांकि अफगान तालिबान ने पाकिस्तान और TTP के बीच वार्ता में मध्यस्थता की, जिसके कारण पाकिस्तान में दर्जनों TTP कैदियों की रिहाई हुई.

नवंबर 2021 में, अफगान तालिबान ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार और TTP के बीच एक महीने के संघर्ष विराम को स्थापित करने में मदद की लेकिन युद्ध विराम की अवधि समाप्त होने पर इसे नवीनीकृत नहीं किया गया. इसके बाद TTP ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले बढ़ा दिए.

तमाम कोशिशों के बावजूद TTP पर लगाम नहीं

तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान सरकार TTP पर लगाम नहीं लगा सकी है. पिछले हफ्ते ही, TTP के लड़ाकों ने दक्षिणी वज़ीरिस्तान में कम से कम 16 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी. यह सुरक्षाकर्मियों पर हाल ही में हुए सबसे घातक हमलों में से एक था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आंकड़े बताते हैं कि विशेष तौर पर पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में, हमलों और मौतों में वृद्धि हुई है. ये दोनों प्रांत अफगानिस्तान की सीमा से सटे हैं.

Pakistan Blast

24 दिसंबर की रात PAK ने की एयरस्ट्राइक

पाकिस्तान की ओर से मंगलवार (24 दिसंबर) रात को की गई एयरस्ट्राइक बताती है कि इस्लामाबाद के लिए TTP कितना बड़ी चुनौती बन चुका है.

तालिबान के मुताबिक, पूर्वी अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में कम से कम 46 लोगों की मौत हुई है. इनमें से मृतकों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं हैं.

तालिबान शासन ने इस मुद्दे पर इस्लामाबाद के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है और चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की क्षेत्रीय संप्रभुता एक लाल रेखा है. हालांकि इस्लामाबाद ने एयरस्ट्राइक पर अभी कुछ नहीं बोला है.

इससे पहले मार्च में भी पाकिस्तान ने ऐसी ही एयर स्ट्राइक की थी जिसमें तीन बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.

दुकान में विस्फोट होने से दो की मौत

‘अफगानिस्तान अपने क्षेत्र पर हुए आक्रमण को नहीं भूलेगा’

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने गुरुवार को कहा, “अफगानिस्तान अपने क्षेत्र पर हुए आक्रमण को नहीं भूलेगा, और पाकिस्तानी शासकों को एक संतुलित नीति अपनानी चाहिए.”

अपने भाषण के दौरान विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को “सोवियत रूस और अमेरिका के भाग्य से सीखने” की चेतावनी दी.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान कभी भी आक्रमणों को स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कथित तौर पर पाकिस्तान के लोगों से अपने शासकों की गलत नीतियों को रोकने की अपील भी की.

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  • भारत एक्सप्रेस


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