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Ashadha Amavasya 2023: 18 जून को आषाढ़ अमावस्या पर पितृदोष से मुक्ति के लिए करें यह काम, कालसर्प दोष भी इस उपाय से होगा दूर

Ashadha Amavasya 2023: आषाढ़ दर्श अमावस्या के दिन पितरों की कृपा पाने और उनकी प्रसन्नता के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है.

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आषाढ़ अमावस्या पर पितृदोष से मुक्ति के लिए करें यह काम

Ashadha Amavasya 2023: हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है. अमावस्या के महत्व को लेकर बहुत सारी बातें कही गई हैं. इस हफ्ते 18 जून 2023 को आषाढ़ दर्श अमावस्या (Ashadha Amavasya 2023) पड़ रही है. आषाढ़ दर्श अमावस्या के दिन पितरों की कृपा पाने और उनकी प्रसन्नता के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है. माना जाता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिवारी जनों को आशीर्वाद देते हैं. वहीं स्नान-दान और पूजा पाठ इसके अगले दिन 18 तारीख को किया जाएगा. वहीं इस दिन को लेकर कहा जाता है कि नकारात्मक शक्तियों की ताकत बढ़ जाती है.

दूर होगा यह दोष

जिस किसी की कुंडली में काल सर्प दोष है तो अमावस्या के दिन इसके निवारण का सबसे कारगर उपाय है. कुंडली में कालसर्प जैसे दोष के होने पर इससे मुक्ति के लिए भी इस दिन विशेष उपाय किए जाते हैं. अमावस्या के दिन किसी मंदिर में जाकर चांदी से बने नाग नागिन के जोड़े की पूजा करें. यहा जोड़ा आपको बाजार से खरीदकर लाना होगा. पूजा करने के बाद इन्हें किसी नदी या बहते जल में प्रवाहित कर दें. ऐसा करने से राहु की वजह से बनने वाले काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाएगी.

जानें आषाढ़ अमावस्या के दिन मुहूर्त

ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, आषाढ़ दर्श अमावस्या की शुरुआत 17 जून, शनिवार, सुबह 09 बजकर 11 मिनट से आरंभ हो जाएगी जिसका समापन अगले दिन 18 जून, रविवार, सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर होगा. वहीं अमावस्या पर स्नान और दान का मुहूर्त 18 जून, सुबह 07 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.

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इस विधि से पाएं पितृ दोष से मुक्ति

अमावस्या के दिन पितरों की कृपा पाने और उनकी प्रसन्नता के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है. अमावस्या के दिन मंदिर के पास स्थित पीपल के पेड़ की पूजा विशेष रूप से फलदायी है. मान्यता है कि इस पेड़ के नीचे अपने पितरों की मंगलकामना करते हुए उनके नाम से घी का दीपक जलाने से उनकी कृपा बनी रहती है.

पितरों को पूजने के क्रम में उनका पसंदीदा भोजन बनाकर इसे तीन हिस्सों में बांट लें. इसका पहला हिस्सा गाय को खिलाएं तो दूसरा हिस्सा कुत्ते को और तीसरा कौवों को खिलाएं. एक और उपाय में इस दिन मां तुलसी को रात में दीपक दिखाकर उनकी पूजा करने का भी विधान है.



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