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बीच में छोड़ी कानून की पढ़ाई, नौकरी के लिए गए तो मांगा घूस….सीएम बनने से पहले कई चुनौतियों से नीतीश का हुआ सामना

बकौल नीतीश, “मैंने बाबूजी की वजह से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन मेरे मन में कुछ नया करने का जज्बा अब भी था. मैंने अपनी पत्नी से सलाह मांगी, उस वक्त वो भी पढ़ रही थी. उसने मुझे कहा कि मुझे कानून की पढ़ाई करनी चाहिए.”

Nitish Kumar

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Untold Story Of Nitish Kumar: नेताओं की जीवनी अक्सर राजनीतिक यात्रा के ईर्द-गिर्द घूमती है लेकिन नीतीश कुमार जिस मौजूदा मुकाम पर हैं वो किसी बिरले को ही नसीब होता है. नीतीश की राजनीतिक कहानियां तो मशहूर हैं ही पर जीवन की कहानियां भी बहुत है. आम लोगों की तरह नीतीश के जीवन में भी कठिनाइयां थीं. वो भी समस्याओं से घिरे हुए थे. उन्हें भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. घर की माली हालात ऐसी हुई कि उन्हें अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी. नीतीश की बुलंदी तक पहुंचने की यात्रा छोटे कस्बे से शुरू होकर सालों तक सड़कों पर संघर्ष के बाद मौजूदा मुकाम तक पहुंची. आज नीतीश बिहार की राजनीति में ‘ऑक्सीजन’ देने का काम कर रहे हैं. हाल ही में ‘नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नजर से’ किताब का विमोचन हुआ है. नीतीश से जुड़े करीबी दोस्तों ने इस किताब में उनकी कहानी लिखी है. इस किताब में नीतीश की निजी जिंदगी, परिवार और राजनीतिक माहौल का जिक्र किया गया है. इन्हीं कहानियों में एक कहानी है नीतीश की पढ़ाई छोड़ने की.

बाबूजी की वजह से की इंजिनियरिंग पढ़ाई

नीतीश के एक दोस्त हैं उदय कांत, ‘नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नजर से’में कुछ कहानी उन्होंने भी लिखी है. उदय कहते हैं, बकौल नीतीश, “मैंने बाबूजी की वजह से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन मेरे मन में कुछ नया करने का जज्बा अब भी था. मैंने अपनी पत्नी से सलाह मांगी, उस वक्त वो भी पढ़ रही थी. उसने मुझे कहा कि मुझे कानून की पढ़ाई करनी चाहिए. मैंने भी हामी भरी और एडमिशन के बारे में सोचने लगा.”

जब लॉ विभाग ने कहा, हम इंजिनियरों को एडमिशन नहीं देते

उदय कांत आगे लिखते हैं, ” नीतीश ने मन बना लिया और एडमिशन लेने लॉ कॉलेज पहुंच गए. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने कहा कि आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, इसलिए आप लॉ में एडमिशन नहीं ले सकते. कॉलेज प्रशासन के इस रवैये से निराश नीतीश कुमार पटना विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉक्टर सचिन दत्त से मिलने पहुंच गए और आपबीती बताई. वीसी को लॉ विभाग का तर्क बेतुका लगा और उन्होंने एडमिशन की मंजूरी दे दी. लेकिन यहां तक तो सब ठीक था. नीतीश ने नए कलेवर से पढ़ाई शुरू की. परीक्षा देने की जब बारी आई तो नीतीश भी परीक्षा कक्ष पहुंच गए. लेकिन वहां धड़ल्ले से नकल चल रही थी. नीतीश कमरे से बाहर आए और ठान लिया कि कानून की पढ़ाई कभी नहीं करेंगे.

नौकरी के लिए नीतीश के बाबूजी से मांगा घूस

लॉ की पढ़ाई छोड़ने के बाद नीतीश नौकरी की तलाश में थे. तभी नीतीश के ससुराल वालों को पता लगा कि बिहार सरकार के नलकूप विभाग में 20 इंजिनियरों की भर्ती होनी है. भर्ती डायरेक्ट चेयरमैन कर सकता है. ससुराल वालों ने नीतीश के बाबूजी से संपर्क किया. आनन-फानन में नीतीश के बाबूजी चेयरमैन से मिलने पहुंच गए. चेयरमैन ने कहा कि आपका बेटा अगर राजनीति से परहेज करे तो निश्चित ही बहुत आगे जाएगा. इतना ही नहीं नौकरी के बदले चेयरमैन ने नीतीश के बाबूजी से एडवांस में 50 हजार रुपये की मांग ली. नीतीश के बाबूजी निराश होकर घर लौट आए.

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नीतीश की राजनीतिक यात्रा

पहली बार 1985 में विधायक बने नीतीश आज बिहार के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 1994 में जॉर्ज फर्नांडीस के साथ समता पार्टी की स्थापना की. 1996 में लोकसभा के लिए चुने गए और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने. उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो गई. 2003 में उनकी पार्टी का जनता दल (यूनाइटेड) में विलय हो गया और कुमार इसके नेता बने. 2005 में एनडीए ने बिहार विधानसभा में बहुमत हासिल किया और नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गठबंधन का नेतृत्व करते हुए मुख्यमंत्री बने. 2010 के राज्य चुनावों में, सत्तारूढ़ गठबंधन ने भारी बहुमत से फिर से चुनाव जीता. जून 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किए जाने के बाद नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़ लिया और राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ गठबंधन करके महागठबंधन बनाया और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में शामिल हो गए.

2014 के आम चुनाव में पार्टी को गंभीर नुकसान होने के बाद कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, कुछ महीनों बाद मांझी को इस्तीफा देना पड़ा और कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने. महागठबंधन ने राज्य चुनावों में भारी बहुमत हासिल किया. फिर 2017 में नीतीश ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर राजद से नाता तोड़ लिया और एनडीए में लौट आए. 2020 के राज्य चुनावों में उनकी सरकार बाल-बाल बची.अगस्त 2022 में कुमार ने एनडीए छोड़ दिया और महागठबंधन और यूपीए में फिर से शामिल हो गए.

-भारत एक्सप्रेस



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