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Delhi Floods: तिरपाल के नीचे सोने और खुले में शौच के लिए मजबूर लोग, झुग्गियों में रहने वालों ने बयां किया अपना दर्द

Delhi Floods: सीमा ने बताया कि पहले पुलिस हमें बाढ़ आने से पहले ही सचेत कर दिया करती थी, लेकिन इस बार किसी ने भी हमें घरों से बाहर निकलने के लिए नहीं कहा

Delhi Flood

दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात

Delhi Floods: दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश के कारण बुरा हाल है. दिल्ली के लाल किला, सुप्रीम कोर्ट, राजघाट से लेकर कई इलाकों में पानी भरा हुआ है. यमुना के आसपास रहने वाले लोगों के लिए यह बाढ़ भारी मुसीबत बनकर आई है. खासकर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. मयूर विहार और पुराने यमुना पुल के आस-पास के इलाके में बाढ़ से प्रभावित झुग्गी-झोपड़ी के बहुत से लोग सिर्फ तिरपाल डालकर खुले में सोने, खुले में शौच करने और जल स्तर कम होने की प्रतीक्षा करने के लिए मजबूर हैं.

निचले इलाकों में बाढ़ के पानी में जलमग्न हुई झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले इन लोगों ने दावा किया कि उन्हें पहले से सतर्क नहीं किया गया, जबकि कई अन्य लोगों का आरोप है कि इस वक्त भी उन्हें प्रशासन से मदद नहीं मिल रही है. यमुना पुल के नीचे डूबी हुई झुग्गी की ओर इशारा करते हुए एक महिला ने दुख जताया और बताया कि कैसे उसकी 20 साल की मेहनत सिर्फ तीन दिनों में बेकार हो गई.

सीमा ने रोते हुए कहा, ‘‘मैं पिछले 20 वर्षों से घरों में जा-जाकर काम कर रही हूं और अपनी कमाई का एक-एक पैसा अपने घर और अपने बच्चों पर खर्च करती हूं. 20 वर्षों की कोशिश और कड़ी मेहनत सिर्फ तीन दिनों में बेकार हो गई.’’
महिला ने दावा किया कि उन्हें सरकार की तरफ से प्लास्टिक की तिरपाल और दूध के एक पैकेट के अलावा कोई और मदद नहीं मिली. महिला का कहना था कि यमुना के बढ़ते जल स्तर के बारे में भी उन्हें पहले से सतर्क नहीं किया गया था.

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किसी ने नहीं किया सचेत- बाढ़ प्रभावितों का आरोप

सीमा ने बताया कि पहले पुलिस हमें बाढ़ आने से पहले ही सचेत कर दिया करती थी, लेकिन इस बार किसी ने भी हमें घरों से बाहर निकलने के लिए नहीं कहा और अब पूरी बस्ती पानी में डूब गई है. सरकार कहती बहुत कुछ है लेकिन हमें देती कुछ नहीं. हमें केवल एक तिरपाल और दूध का एक पैकेट मिला है.”

उन्होंने कहा कि वह (सरकार के अधिकारी) शनिवार को आए और हमारा नाम लिखा, सारी जानकारी ली, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया. महिला ने आरोप लगाया कि सरकार झुग्गीवालों को मकान देने की बात करती है, लेकिन वह हमें यहां से हटाने की कोशिश कर रही है. वहीं अशोक का कहना था, ‘‘2013 में भी बाढ़ आई थी, लेकिन उस वक्त हालात इतने बुरे नहे थे.”

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अशोक ने कहा, ‘‘पिछले साल भी दिवाली के बाद हमारे घरों में पानी घुस गया था, लेकिन जल्द ही कम भी हो गया. लेकिन इस बार पानी का स्तर इतना ज्यादा था कि पानी पुल को भी छू गया.’’ अशोक ने कहा कि सभी झुग्गियां जलमग्न हो गईं हैं और पीने का पानी तक नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों को सरकार की ओर से ना भोजन, ना राशन और ना ही पानी मुहैया कराया जा रहा है.

-भारत एक्सप्रेस



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