प्रतीकात्मक तस्वीर
UP News: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर (CSJMU) के कुलपति प्रो. विनय पाठक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराने वाले डेविड मारियो को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. मारियो के ऊपर MBBS और BAMS की कापियां बदलने का आरोप है. सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में एमबीबीएस और बीएएसएस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने जाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने डिजिटेक्स टेक्नॉलॉजीज के प्रोपराइटर डेविड मारियो डेनिस के साथ ही देवेंद्र सिंह और राहुल पराशर को भी गिरफ्तार किया है. ये कार्रवाई शुक्रवार को की गई है. जानकारी सामने आ रही है कि उस समय डिजिटेक्स टेक्नालॉजीज के पास ही विश्वविद्यालय की परीक्षा कराने की जिम्मेदारी थी. मालूम हो कि कई महीने पहले डेविड मारियो ने कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है.
बता दें कि इस पूरे मामले में ईडी अपने लखनऊ स्थित जोनल मुख्यालय में डेविड को बुलाकर लम्बी पूछताछ कर चुकी है. वहीं हाल ही में ईडी ने लखनऊ के साथ ही कासगंज, आगरा और दिल्ली सहित कई ठिकानों पर छापेमारी की थी और इस मामले से जुड़े अहम साक्ष्य जुटाए थे. इसी के साथ लखनऊ में गोखले मार्ग स्थित डेविड के ऑफिस के साथ ही जानकीपुरम स्थित घर पर भी तलाशी ली गई थी. इस पूरी जांच पड़ताल के बाद ईडी ने मेडिकल परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को बदलने वाले गिरोह में डेविड की मिलीभगत पाई और इसी के बाद ये बड़ी कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
बता दें कि मामले में पूछताछ के बाद डेविड सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस भी दर्ज किया गया था. वहीं जानकारी सामने आ रही है कि छात्रनेता राहुल पराशर और टेंपो चालक देवेंद्र सिंह भी इस गिरोह के सदस्य थे. हालांकि इस फर्जीवाड़े में आगरा विश्वविद्यालय के पूर्व कर्मचारी शिवकुमार का नाम भी सामने आया था.
गौरतलब है कि मेडिकल की परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाएं बदलने का मामला गत वर्ष सामने आया था. इसी के बाद आगरा के हरीपर्वत थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी. इस मामले में देवेंद्र सिंह को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी. जानकारी सामने आ रही है कि देवेंद्र ही उत्तर पुस्तिकाएं एजेंसी तक पहुंचाने का काम करता था, लेकिन वह पहले छात्रनेता राहुल पराशर को उत्तर पुस्तिकाएं दे देता था और बाद में एजेंसी तक पहुंचाता था. इसी दौरान उत्तर पुस्तिकाओं में हेराफेरी की जाती थी.