उत्तर प्रदेश के आगरा से एक ऐसी खबर आई है जिसे पढ़कर आप हैरत में पड़ जाएंगे और आपका पुलिस महकमे पर भरोसा कम सकता है. ये एक ऐसे पुलिस इंसपेक्टर की कारस्तानी का सच है जिसने एक निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ 5 FIR दर्ज की. जब उसके खिलाफ शिकायत के बावजूद कोई एक्शन नहीं हुआ तब जाकर कोर्ट को दखल देना पड़ा, उसके बाद इस इंसपेक्टर के खिलाफ एक्शन शुरू हुआ है.
मामला अलीगंज पुलिस स्टेशन में तैनात SHO सतीश कुमार यादव का है जिसने 2016 में एक स्थानीय व्यवसायी के खिलाफ पांच फर्जी मामला दर्ज किए थे. अब जाकर एटा जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत के आदेश के बाद पुलिस निरीक्षक सतीश कुमार यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. SHO सतीश कुमार यादव ने अवधेश कुमार के खिलाफ झूठे सबूतों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की थी.
पुलिस महानिदेशक के कार्यालय द्वारा जांच के आदेश के बाद निरीक्षक को दोषी पाया गया था, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. अवधेश कुमार ने फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की, जिसने इस मामले को एटा जिले के अदालत में भेज दिया. आरोपी SHO फिलहाल मैनपुरी में तैनात है. गुरुवार को एएसपी धनंजय कुशवाहा ने बताया कि ‘अदालत के आदेश के बाद अलीगंज थाने में SHO सतीश कुमार यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
जून, 2019 में डीएसपी राम निवास सिंह द्वारा की गई जांच में पता चला कि इंस्पेक्टर द्वारा अवधेश कुमार के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत 307 और 354 सहित पांच फर्जी मामले दर्ज किए गए थे. पीड़ित की शिकायत के अनुसार, आरोपी पुलिस वाले ने स्थानीय राजनेताओं की संलिप्तता वाली आपराधिक साजिश के तहत मनमाने ढंग से प्राथमिकी दर्ज की.
पीड़ित व्यक्ति ने दावा किया कि फर्जी सबूतों के आधार पर की गई त्रुटिपूर्ण जांच के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और अदालत को गुमराह किया गया. अब, अंततः इंस्पेक्टर और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 418, 166, 167, 193 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई.
-भारत एक्सप्रेस
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