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भारत का सांस्कृतिक वैभव एक नया आकार ले रहा है

भारत में गीत संगीत, नाटक परम्परा, लोक परम्परा, धार्मिक संस्कार, अनुष्ठान, चित्रकारी और लेखन के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा संग्रह मौजूद है जो मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में जाना जाता है।

सांकेतिक तस्वीर

प्रहलाद सबनानी, सेवानिवृत्त उपमहाप्रबंधक, SBI

भारतीय सनातन संस्कृति, सभ्यता और परम्पराएं विश्व में सबसे अधिक प्राचीन मानी जाती है। भारतीय संस्कृति को विश्व की अन्य संस्कृतियों की जननी भी माना गया है। भारत की संस्कृति और सभ्यता आदि काल से ही अपने परम्परागत अस्तितिव के साथ अजर अमर बनी हुई है। भारत में गीत संगीत, नाटक परम्परा, लोक परम्परा, धार्मिक संस्कार, अनुष्ठान, चित्रकारी और लेखन के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा संग्रह मौजूद है जो मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में जाना जाता है। इसे संजोने, संवारने और निखारने का महती प्रयास हाल ही के समय में बहुत मजबूती के साथ किया जा रहा है।

विशेष रूप से पिछले एक दशक में भारत की संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं, जिससे न केवल विश्व के लोगों को देश के माटी की सौंधी खुशबू मिली है बल्कि पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति को जानने एवं समझने का प्रयास भी कर रही है। भारत का अतीत वर्तमान से भी सुंदर एवं प्रभावशाली रहा है। कोणार्क का सूर्य मंदिर, मदुराई का मीनाक्षी मंदिर, एलोरा का कैलाश मंदिर, कांचीपुरम में वरदराजा मंदिर, मुडेरा में सूर्या मंदिर के अलौकिक रूप एवं अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, काशी में बाबा विश्वनाथ धाम कारिडोर, उज्जैन में महालोक कारिडोर, केदारनाथ धाम का पुनर्विकास, पवित्र डेरा बाबा नानिक करतारपुर साहिब कारिडोर के रूप में भारत के सांस्कृतिक वैभव को एक नया आयाम दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त रामायण सर्किट, बौध सर्किट, तीर्थंकर सर्किट समेत अन्य पर्यटन सर्किट भी विकसित किए जा रहे हैं।

भारत में 40 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें से 32 सांस्कृतिक स्थल, 7 प्रकृतिक स्थल और 1 मिश्रित स्थल है। इसके अलावा सरकार की देखरेख में शामिल लगभग 3000 स्मारकों को मोमेंट्स ओफ नैशनल इम्पॉर्टन्स घोषित किया गया है। भारत के संस्कृति मंत्रालय का मिशन कला और संस्कृति के सभी रूपों का परीक्षण, संवर्धन, प्रचार और प्रसार करना है। संस्कृति मंत्रालय के कार्य है – एतिहासिक स्थलों, प्राचीन स्मारकों का संरक्षण, पुस्तकालयों का प्रबंधन और प्रशासन, साहित्यिक, दृश्य और मंच कलाओं का संवर्धन, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विभूतियों और घटनाओं का शताब्दी वर्ष आयोजन, बौद्ध और तिब्बती अध्ययन संस्थानों का संवर्धन, कला और संस्कृति के क्षेत्र के लिए निजी भागीदारी करना, दूसरे देशों के साथ सांस्कृतिक करार करना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक आदान प्रदान करना, सांस्कृतिक जागरूकता पैदा करना। उक्त समस्त कार्यों का बखूबी निर्वहन संस्कृति मंत्रालय कर रहा है। पिछले एक दशक के दौरानभारत की सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में कई मील के पत्थर जोड़े गए हैं।

भारत के सांस्कृतिक मंत्रालय ने कई नवाचार प्रारम्भ किए हैं। जैसे, ई-टिकटिंग की सुविधा, भारत अवश्य देखें स्मारक और पुरातत्व स्थल पोर्टल प्रारम्भ करना, सभी केंद्रीय संरक्षित स्मारकों में फोटोग्राफी की अनुमति देना, इसरो के सहयोग से एएसआई स्मारकों की सेटेलाइट मैपिंग करना, विदेशों में गई भारतीय मूर्तियों की वापसी के प्रयास करना, स्मारक और पुरातत्व स्थल पोलिथिन मुक्त घोषित करना, पर्यटकों के लिए एक कैशलेस टूल प्रारम्भ करना, विदेशों में भारतीय उत्सव और त्यौहारों की धूम पैदा करना, देश में म्यूजियम कल्चर का तेजी से विकास करना, आदि।शीघ्र ही युगे-यूगीन राष्ट्रीय संग्रहालय भी देश को समर्पित होने जा रहा है जो देश का सबसे बड़ा म्यूजियम होगा।

देश को राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त हुए 7 दशक से अधिक का समय हो चुका है और हमने अभी हाल ही में आजादी के 75 वर्षों के बाद अमृत काल मानाया है। आजादी के अमृत महोत्सव की आधिकारिक यात्रा 12 मार्च 2021 को प्रारम्भ हुई। जिसे हमारी आजादी की 75 वर्षगांठ के लिए 75 सप्ताह की गिनती शुरू की थी जो उत्सवों के साथ निरंतर गतिमान रही। इस बीच उत्सवों की लम्बी शृंखला चली और 15 अगस्त 2023 तक यह यात्रा निर्बाध गति से चलती रही। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान 166,000 से अधिक कार्यक्रम देश और दुनिया में आयोजित किए गए। जिसमें हर घर तिरंगा, वन्दे भारतम, कलांजलि जैसे कई बड़े कार्यक्रम भी शामिल रहे।

अमृत महोत्सव के पांच स्तम्भ हैं – स्वतंत्रता संग्राम, विचार, समाधान, कार्य, उपलब्धियां।  जनभागीदारी से मनाया जा रहा आजादी का अमृत महोत्सव, देश की इन 75 वर्षों की उपलब्धियों को पूरी दुनिया के सामने रखने का एक प्रयास है और इसके साथ ही अगले 25 वर्षों के लिए संकल्पों की रूपरेखा भी रखी जा रही है।

भारत की सांस्कृतिक विरासत का पर्यटन एक बेहतरीन रंग बनकर उभरता है। भारत विविधताओं का देश है। यह एक बहुसांस्कृतिक और विविधताओं का राष्ट्र है।यहां की संस्कृति, सभ्यता, विरासत, त्यौहार, उत्सव, उपासना, व्यंजन, बोली, भाषा, आदि भिन्न भिन्न होते हुए भी भारत देश एक है, अटूट है। यह विशेषताएं न केवल भारत को विशेष पहिचान दिलाती हैं बल्कि पूरी दुनिया के सामने भारत को खास भी बनाती है।

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था और कोरोना के दंश ने पर्यटन की रफ्तार को कुंद कर दिया था। भारत सरकार ने चुनौतियों में अवसरों को तलाशा और पर्यटन उद्योग में नई जान फूंक दी है जिससे अब भारत का पर्यटन उद्योग नई ऊंचाईयों को छू रहा है। भारत में पर्यटन पहिले से काफी अलग नजर आ रहा है। पर्यटन को नई ऊंचाईयां देने के लिए अथक प्रयास किए गए है। पर्यटन स्थलों को विकसित किया गया है, सुविधाओं का विस्तार किया गया है, परिवहन को सुगम बनाया गया है, आधारभूत ढांचे को विकसित किया गया है। साथ ही कई अन्य प्रयास भी किए गए हैं। अतुल्य भारत, वीजा ओन अराइवल, प्रसाद योजना, देखो अपना देश, एक भारत श्रेष्ठ भारत, हरित पर्यटन मिशन, स्वदेश दर्शन योजना, स्वच्छता अभियान, स्वच्छ पर्यटन ऐप, अडाप्ट ए हेरिटिज, रामायण सर्किट, सूफी सर्किट, बुदेलखंड सर्किट, धर्मशाला घोषणा पत्र (2022) जैसी की नई योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं।

केंद्र सरकार ने ग्रीन और डिजिटल पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मसौदा तैयार किया है। इसमें विकास भी विरासत भी की तर्ज पर देश में पर्यटन क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रीय पर्यटन नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। जिसमें हरित पर्यटन और डिजिटल पर्यटन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आतिथ्य क्षेत्र को और कुशल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ईज ओफ टुरिजम को बढ़ावा देते हुए पर्यटन के लिए टैक्स ढांचे में राहत प्रदान किए जाने के प्रयास हो रहे हैं। पर्यटन विकास के लिए देश में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस वर्ष इस मद पर 50,000 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है। देश में आने वाले पहिले 5 लाख पर्यटकों को निशुल्क वीजा प्रदान किया जाएगा। पर्यटन को पब्लिक प्राइवेट पार्ट्नर्शिप मॉडल पर विकसित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ई-वीजा सेवा सुविधा की शुरुआत की गई है। वर्ष 2030 तक भारत को विश्व के 5 शीर्ष देशों में स्थान दिलाने के प्रयास हो रहे हैं। टिकाऊ, जिम्मेदार और सामवेशी पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत ने वर्ष 2023 को विजिट भारत वर्ष घोषित किया गया है।  इसी संदर्भ में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बहुत प्रयास मौजूदा सरकार ने किए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है इन बाउंड पर्यटन के लक्ष्य को प्राप्त करना है। हाल ही के वर्षों में इन बाउंड पर्यटन में उल्लेखनीय सुधार दिख रहा है। भारतीय पर्यटन अगले कुछ वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ते देशों में शामिल होने जा रहा है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार पर्यटन से जुड़े स्पर्धात्मक सूचकांक में भारत ने पिछले 4 वर्षों में 25 स्थानों की छलांग लगाई है। वर्ल्ड इकानामिक फोरम ने यात्रा और पर्यटन विकास 2022 की सूची में 117 देशों के बीच भारत को 54वां स्थान दिया गया है। भारत दक्षिण एशिया में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला देश बन चुका है। पर्यटन क्षेत्र आज भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी आकर्षित कर रहा है। भारत में पर्यटन के क्षेत्र में देशी एवं विदेशी यात्रियों की संख्या में पर्याप्त इजाफा हुआ है। भारत में पर्यटन उद्योग एक महत्वपूर्ण रोजगार सृजन क्षेत्र होने के साथ देश के लिए विदेशी मुद्रा का एक मुख्य स्त्रोत भी है। 5.30 करोड़ रोजगार के अवसर पर्यटन से जुड़े उद्योग में निर्मित हुए हैं। अगले 5 वर्षों में 14 करोड़ रोजगार के अवसर निर्मित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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