हद से ज़्यादा हर चीज़ का सेवन करना हमारे शरीर के लिये हानिकारक होता है। यह बात हर उस चीज़ पर लागू होती है जिसका हम अपने जीवन में ज़रूरत से ज़्यादा सेवन करते हैं। ऐसी ही एक चीज़ है चीनी। यह एक ऐसा मीठा ज़हर है जिसे हम जाने-अनजाने अपने शरीर में बेवजह बढ़ाते जाते हैं। परंतु इस बात से हम अभिज्ञ रहते हैं कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की ताक़त भी कम होने लगती है। यदि हम हर चीज़ का सेवन एक संतुलित मात्रा में करें तो कभी कोई परेशानी नहीं होगी।
हर घर में आसानी से मिलने वाली सफ़ेद चीनी हमारे शरीर के लिए कितनी नुक़सानदेह हो सकती है, इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। बीते कई दशकों से कम उम्र में डायबिटीज, मोटापा, किडनी व लिवर के रोग, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने जैसी समस्याएं होना सामान्य बात हो गई है। इसका एक कारण अधिक मात्रा में चीनी का उपयोग भी है। हम अक्सर ऐसे कई प्रोसेस्ड खाद्य उत्पादों का सेवन करने लगते हैं जिनमें केमिकल रिफाइंड शुगर या सफ़ेद चीनी पाई जाती है। इन पदार्थों में चीनी की मात्रा का पता नहीं चलता और अनजाने में हम अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। जब तक हमें एहसास होता है तब तक काफ़ी देर हो चुकी होती है।
अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करने से हमें ऐसी कई ख़तरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है जिनका इलाज लंबा चलता है और काफ़ी महँगा भी होता है। विश्व भर में आजकल हृदय रोग, मौत का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। अधिक मात्रा में चीनी युक्त खाद्य पदार्थ खाने से हृदय रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है। एक शोध के अनुसार अधिक मात्रा में चीनी युक्त आहार से मोटापा, सूजन, उच्च ट्राइग्लिसराइड, रक्त शर्करा और रक्तचाप का स्तर हो सकता है। ये सभी दिल की बीमारी के खतरे को बढ़ाने वाले कारण होते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग ज़्यादा चीनी का सेवन करते हैं वे 17-21% अतिरिक्त कैलोरी लेते हैं। इन लोगों में हृदय रोग से मौत का खतरा लगभग 38% अधिक होता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक चीनी के उपयोग से इंसुलिन पर पड़ने वाला हानिकारक प्रभाव जैसे शरीर में सूजन आना, कैंसर का भी कारण बन सकता है। कई शोधों में यह साबित भी हो चुका है कि अधिक चीनी लेने वाले लोगों को कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। इतना ही नहीं ज़्यादा मीठा खाने से हमारे खून में यूरिक एसिड बढ़ाते हैं। इस कारण ब्लडप्रेशर और गठिया जैसी परेशानी भी हो सकती है। इसके साथ ही चीनी को अधिक मात्रा में लेने से शरीर में भूख और वजन नियंत्रित करने वाले सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है।
डॉक्टरों के अनुसार मीठा या शक्कर ‘ग्लूकोज’ के रूप में हो तो वह ठीक है। परंतु यही जब ‘फ्रुक्टोस’ के रूप में होता है वह हमें दिक्कत दे सकता है। इसका हमारे शरीर, दिमाग और हार्मोन पर अलग प्रभाव पड़ सकता है। ग़ौरतलब है कि शराब व अन्य नशीली चीजों की तरह चीनी भी दिमाग में ‘डोपामाइन’ नामक हार्मोन का स्राव बढ़ाती है। ऐसे में चीनी की लत लग जाती है, जो मानव शरीर के लिए काफ़ी हानिकारक है।
संतुलित मात्रा में मीठा लेने पर हमारा लीवर उसे ‘ग्लाइकोजेन’ में बदलकर जमा कर लेता है। ज़रूरत पड़ने पर लीवर में जमा ग्लाइकोजेन काम में लिया जाता है। इसी तरह ज्यादा मात्रा में फ्रुक्टोस लेने पर लीवर को इसे फैट में बदलना पड़ता है। ऐसा करने से हमारे लीवर पर अधिक भार पड़ता है। जैसे ही अधिक फ्रुक्टोस फैट का रूप ले लेता है, इसकी कुछ मात्रा हमारे खून में भी चली जाती है। जो हृदय रोग या हार्ट अटैक का कारण भी बन जाती है। अधिक फैट का लिवर में जमा होने के कारण ‘फैटी लिवर’ जैसी बीमारी भी हो सकती है, जिसे समय पर ठीक नहीं किया जाए तो वो आगे चल कर ‘लिवर सिरोसिस’ का रूप भी ले सकती है।
एक संतुलित आहार में मीठा ख़ाना भी आवश्यक है। इसलिए हमें केमिकल से प्रोसेस की जाने वाली सफ़ेद चीनी से जहां तक हो सके बचने कि ज़रूरत है। इसके साथ ही हमें अपने शरीर में मीठे की पूर्ति के लिए गुड़ या ताज़े फलों का सेवन करना चाहिए। यदि हम खाना खाने के बाद गुड़ का एक टुकड़ा खाते हैं तो ये ना सिर्फ़ ख़ाना पचाने में मदद करता है बल्कि शरीर से अधिक विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिन्स को भी आसानी से बाहर निकाल देता है। चीनी और गुड़ दोनों ही शरीर में कैलोरी को बढ़ाते हैं, लेकिन यदि आपको दोनों में से किसी एक को चुनना हो तो आप गुड़ का चुनें। क्योंकि केमिकल द्वारा रिफाइन की गई सफ़ेद चीनी से इसके फायदे कहीं ज्यादा होते हैं। गुड़ में आयरन, कैल्शियम, जिंक, पोटैशियम, मैग्नीशियम और सेलेनियम की मात्रा अधिक होती है जो ‘खून की कमी’ जैसी बीमारी में बहुत फायदेमंद होता है।
समय रहते अगर हम अपने जीवन में बदलाव लाएँगे तो हम लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी जियेंगे। इसलिए जहां तक हो सके हमें कैमिकल द्वारा रिफाइन की गई चीनी का सेवन कम कर देना चाहिए। यह एक ऐसा मीठा ज़हर है जो आसानी से मिल भी जाता है और हमें धीरे-धीरे मारने का काम करता है।
*लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक हैं
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