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चित्रकूट में दिवाली के दूसरे दिन लगता है ‘गधों और खच्चरों का मेला, जानिए क्यों है खास

चित्रकूट में गधों और खच्चरों का मेला

भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में धनतेरस से दूज तक दीपदान उत्सव मनाया जाता है. लेकिन दीपावली के दूसरे दिन यहां गधों और खच्चरों का मेला लगता है.ये मेला लोगों के आकर्षण का केंद्र होता है.कई साल से ये परंपरा निभाई जा रही है. इस मेले की शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब ने की थी. दीपावली के दूसरे दिन गधों एवं खच्चरों का यह मेला 3 दिनों तक रहता  है, मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष मुन्नालाल त्रिपाठी ने बताया कि हर साल  मेले में 5 हजार से अधिक गधे इकट्ठा होते हैं. इस मेले में मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों से हजारों की तादाद में गधे और खच्चर बिकने के लिए लाए जाते हैं, जिनके दाम हजार से लेकर लाखों तक होते हैं.

इस मेले के बारे में कुछ लोगों ने जानकारी दी. बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब की सेना में हथियारों और रसद ढोने वालों की कमी आ गई थी, ऐसे में मुगल शासक ने पूरे इलाके से गधे और खच्चरों के पालकों को चित्रकूट के मंदाकिनी नदी के किनारे के मैदान में इकट्ठा होने को कह दिया.तब सभी गधों और खच्चरों को उनके मालिकों से खरीद लिया था. तब से लेकर आज तक यह एक व्यापार का सिलसिला बन गया. इस  मेले को देखने के लिए लोग यहां दूर-दूर से यहां आते हैं.

गधों का नाम फिल्म स्टारों पर

मंदाकिनी नदी के तट पर लगने वाले इस मेले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के पशु व्यापारी आते हैं. वहीं, इन जानवरों के खरीददार देशभर से यहां आते हैं. इस मेले की खास बात ये है कि गधों की पहचान फिल्मी कलाकारों के नाम से होती है. मेले में आने वाले व्यापारियों का मानना है कि बॉलीवुड कलाकारों का नाम देने से गधों की बिक्री बढ़ जाती है. व्यापारी  चुनवाद  बहादुर ने बताया कि अच्छी नस्ल और बढ़िया कद-काठी वाले खच्चर का नाम सलमान रखा गया है. ज्यादा भार ढोने वाले गधों को ऋतिक और रणबीर नाम से पुकारा जाता है. फुर्तीले खच्चरों को शाहरुख कहा जाता है. इस बार तीन दिन में दो करोड़ के गधे  बिकने की उम्मीद की जा रही है.

-भारत एक्सप्रेस

 



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