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इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी में अपनी राजनीति का मनवाया था लोहा, अब चंबल में पिता के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं भरत चतुर्वेदी 

राजनीति की समझ और कौशल भरत को विरासत में मिला और यही वजह है कि उन्होंने इंग्लैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में इसका परिचय दिया.

भरत चतुर्वेदी (फाइल फोटो)

भरत चतुर्वेदी (फाइल फोटो)

MP Election: मध्य प्रदेश में इन दिनों चुनावी शोर है. विधानसभा के रण में सभी प्रत्याशी प्रचार-प्रसार में जुट गए हैं. चंबल की घाटी में भी चुनावी माहौल है. इसी चंबल में एक युवा ऐसा भी है जो इंग्लैंड तक में अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ का लोहा मनवा चुका है. इस युवा का नाम चौधरी भरत सिंह चतुर्वेदी है. भरत सिंह ने इंग्लैंड के एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में अंग्रेजों को भी राजनीति में परास्त किया है. दरअसल, भरत एडिनबर्ग पढ़ने गए थे. वहां छात्र संघ चुनाव में अंग्रेज प्रत्याशियों को परास्त करते हुए छात्र संघ चुनाव जीता.

पिता के लिए वोट मांग रहे हैं भरत

अब भरत भिंड की गलियों में अपने पिता राकेश सिंह चतुर्वेदी के लिए चुनावी बिसात बिछा रहे हैं. साल 2017 में भरत एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से प्रेसिडेंट चुने गए. दूसरे साल वो स्टूडेंट ट्रस्टी बने. भरत की इस कामयाबी से भारत का खूब मान बढ़ा.

बता दें कि भरत सिंह चतुर्वेदी के पिता राकेश सिंह चतुर्वेदी को कांग्रेस ने टिकट दिया है वो भिंड से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके लिए रणनीति उनका बेटा भरत ही बना रहा है. भरत के पिता राकेश अब तक 6 बार चुनाव लड़ चुके हैं. दिग्विजय सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था.

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विरासत में भरत को मिला राजनीतिक कौशल

राजनीति की समझ और कौशल भरत को विरासत में मिला और यही वजह है कि उन्होंने इंग्लैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में इसका परिचय दिया. हालांकि, भरत का कहना है कि भिंड और एडिनबर्ग का मुद्दा अलग-अलग है. यहां बेरोजगारी और पलायन समस्या है. जब भरत सिंह से राजनीतिक भविष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी इसके बारे में सोचे नहीं है. उन्होंने कहा कि वह केवल सेवक की तरह कार्य करना चाहते हैं.

बता दें कि चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है. मध्य प्रदेश में एक फेज में 17 नवंबर को चुनाव होना है. वहीं नतीजे पांच राज्यों के साथ 3 दिसंबर को आएंगे.

-भारत एक्सप्रेस

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