(प्रतीकात्मक तस्वीर: IANS)
एक टीवी चैनल के ग्लोबल लीडरशिप समिट में मास्टरकार्ड, एम्बेसी ग्रुप और ब्रुकफील्ड के शीर्ष कारोबारी नेताओं ने भारत के विकास पथ, फिजीकल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के अभिसरण (Convergence) और वैश्विक शक्ति के रूप में इसकी क्षमता पर चर्चा की.
हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर पर अरबों डॉलर खर्च किया गया
मास्टरकार्ड (Mastercard) के एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष अरी सरकार ने इस बात को हाईलाइट किया कि भारत में मास्टरकार्ड की उपस्थिति देश के उपभोक्ता विकास को दर्शाती है. उन्होंने कहा, “एक दशक से भी पहले इस देश में लगभग 15 से 16 मिलियन (1.5 करोड़) यूनिक क्रेडिट कार्ड होल्डर थे. आज हम देस में लगभग 55 मिलियन (5.5 करोड़) यूनिक कार्डधारकों को देख रहे हैं.”
डिजिटल विकास का समर्थन करने के लिए फिजीकल इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, फिजीकल इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना कोई डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. दूरसंचार कनेक्टिविटी को विकसित करने के लिए हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर पर अरबों डॉलर खर्च किया गया है.
भारतीय अंग्रेजी बोलते हैं और अंग्रेजी में सोचते हैं
चैनल के कार्यक्रम में एंबेसी ग्रुप (Embassy Group) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक जीतू विरवानी ने बताया कि क्यों भारत ने 1994 से ही ग्लोबल कॉरपोरेशन को आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि यहां के लोग अंग्रेजी बोलते हैं और अंग्रेजी में सोचते हैं. यही विदेशी कंपनियों के आकर्षण लिए एक महत्वपूर्ण कारण है.
भारत के कॉरपोरेट पार्कों पर विदेशी प्रतिक्रियाओं को याद करते हुए उन्होंने कहा, “एक समय था जब हम अमेरिका गए थे. वहां हमने लोगों को अपने कुछ वीडियो दिखाए थे, तब उन्हें लगा कि यह एनिमेटेड है. जब उन्होंने भारत के कॉरपोरेट पार्कों का व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया तब उन्हें एहसास हुआ कि ये वास्तव में इमारतें हैं.”
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कॉरपोरेट पार्क विश्व स्तरीय गुणवत्ता प्रदान करते हैं, पर बाहरी बुनियादी ढांचे में अभी भी सुधार की आवश्यकता है.
अर्थव्यवस्था हर पांच साल में दोगुनी हो रही
ब्रुकफील्ड (Brookfield) के मैनेजिंग पार्टनर, अंकुर गुप्ता ने बताया कि कैसे भारत खर्च बचाने वाला देश से ग्लोबल इकोनॉमी में एक रणनीतिक खिलाड़ी के तौर पर उभर कर आया. उन्होंने कहा, “भारत ग्लोबल इकोनॉमिक इकोसिस्टम का हिस्सा है. भारत की 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हर पांच साल में दोगुनी हो रही है.”
अंकुर गुप्ता ने भारत के दुनिया का सबसे हरा-भरा देश बनने की भविष्यवाणी की. उन्होंने सोलर एनर्जी जैसे संसाधनों की अधिक उपलब्धता का हवाला देते हुए कहा कि, “मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर भारत नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य 2047 तक हासिल कर ले.”
-भारत एक्सप्रेस
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