एनसीआर में लागू हुआ ग्रैप-3.
Delhi Pollution: देश की राजधानी दिल्ली पिछले काफी समय से गैस चैंबर बनी हुई है. दो दिन से हालात थोड़ा सामान्य जरूर हुए हैं, लेकिन इसका स्थाई समाधान अगर नहीं निकाला गया तो ये बहुत भयावह अंजाम तक पहुंचेगा. जिसको लेकर एम्स के पूर्व डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया समेत अन्य विशेषज्ञों ने भी सरकार को अलर्ट किया है. पूर्व निदेशक ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण को खत्म करने के लिए जो भी कीमत अदा करनी पड़े कीजिए, लेकिन इसे खत्म कीजिए. दिल्ली की हवा को दूषित होने से बचाने के लिए हर कीमत पर कदम उठाए जाने चाहिए.
“प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं”
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि दिल्ली की हवा लगातार दूषित हो रही है, इससे आम आदमी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए सरकार बिना देरी किए तत्काल सख्त कदम उठाए. उन्होंने कहा कि दिल्ली का प्रदूषण साइलेंट किलर बन चुका है. इसे किसी भी कीमत पर खत्म करना होगा. एक्सपर्ट का दावा है कि किए गए शोध से पता चला है कि दिल्ली में लोगों के दिल, दिमाग और सांस के मरीजों के लिए यहां का वातावरण घातक साबित हो सकता है.
बच्चों पर हो रहा बुरा असर
इस शोध मे इस बात का भी खुलासा किया गया है कि प्रदूषण बढ़ने से बच्चों में अस्थमा की बीमारी के साथ ही उनकी बौद्धिक क्षमता भी कम हो रही है. अगर इसपर जल्द प्रभावी एक्शन नहीं लिया गया तो समस्या विकराल रूप से सकती है.
समाधान को लेकर हुई चर्चा
बता दें कि दिल्ली में पॉल्यूशन की समस्या को देखते हुए AIIMS में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य -विज्ञान, नीति, कार्यक्रम और सामुदायिक जुड़ाव पर आगे बढ़ने के विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें विशेषज्ञों ने इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रभावी उपायों को साझा किया. जिसमें प्रदूषण से होने वाली समस्या पर शोध के जरिए डाटा जुटाना, उस डाटा के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों से राष्ट्रीय नीति तैयार करवाना भी बताया गया है. इसके अलावा प्रदूषण की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे अभियान में आम जनता को जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की भी बात कही गई.
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टास्क फोर्स का किया जाए गठन
एक्सपर्ट की टीम का ये भी मानना है कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए टास्क फोर्स बनाई जाए. ये टास्क फोर्स राज्यों में फैलने वाले प्रदूषण की वजहों को तलाश कर उनपर लगाम लगाने के लिए कदम उठाए. इसके साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं और बजट में बढ़ोतरी को लेकर भी सेमिनार में चर्चा की गई.
रोजाना प्रदूषण से हो रही हैं साढ़े छह हजार मौतें
बता दें कि विज्ञान पत्रिका लैंसेट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक साल में करीब 24 लाख लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से हो रही है. इस हिसाब से अगर देखा जाए तो रोज करीब साढ़े छह हजार लोग प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के चलते अपनी जिंदगी खो रहे हैं. ये आंकड़ें काफी डरावने हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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