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Pollution

नई दिल्ली: द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में जारी एक हालिया अध्ययन में वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सूक्ष्म कण पदार्थ (PM2.5) के अल्पकालिक जोखिम के हानिकारक प्रभाव के बारे में चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं.

लगातार चुनाव जीतने की राजनीति में जुटे रहने वाले दल प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों पर भी आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।

सरकार को प्रदूषण की समस्या से छुटकारा पाना है तो उसे इसके असल कारणों पर वार करना होगा तभी हमारा पर्यावरण स्वच्छ हो पाएगा।   

Delhi Pollution: देश की राजधानी दिल्ली पिछले काफी समय से गैस चैंबर बनी हुई है. दो दिन से हालात थोड़ा सामान्य जरूर हुए हैं, लेकिन इसका स्थाई समाधान अगर नहीं निकाला गया तो ये बहुत भयावह अंजाम तक पहुंचेगा.

Delhi Air Pollution: AQI एक बार फिर खतरनाक स्तर को पार कर चुका है. आज सुबह राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में धुंध छाई रही.

Delhi Air Pollution: बारिश के बाद जहां वायु प्रदूषण में कुछ कमी आई थी वहीं आज दिवाली के त्योहार के बाद इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई.

Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर का क्षेत्र आज सुबह पहले की अपेक्षा तो कुछ साफ नजर आया, लेकिन हवा में अभी भी जहर बरकरार है.

द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में एक साल के अंदर 90 लाख लोगों की मौत प्रदूषण के चलते हुई. जिनमें से 66 लाख 70 हजार लोगों की मौत का कारण वायु प्रदूषण बना. भारत में 2019 में प्रदूषण से मरने वालों की संख्या 23.5 लाख थी.

दरअसल पूरा मामला उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के मुहम्दाबाद तहसील के इचौली गॉव का है जहां नियमों के इतर जाकर राइस मिल चलाई जा रही जिसकी वजह से अबतक उस गॉव ने बहुत सी तकलीफ़ें उठाई हैं.

दिल्ली-एनसीआर पर प्रदूषण की परत छाई हुई है. बुधवार को AQI 354 यानी बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया. नोएडा में एक्यूआई 406 और गुरुग्राम में यह 346 दर्ज किया गया. दिल्ली-एनसीआर पर प्रदूषण के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में खासकर दमा और सांस की समस्या झेल …