सहाराश्री को भावपूर्ण श्रद्धांजलि (फोटो- Bharat Express)
सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय ने 75 साल की उम्र में बीते 14 नवंबर को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 14 नवंबर की रात सुब्रत रॉय के निधन की खबर जैसे ही आई, उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई. ‘सहाराश्री’ के रूप में अपने चाहने वालों के बीच लोकप्रिय सुबत रॉय ने गोरखपुर से अपने कारोबार की शुरूआत की और सहारा की नींव रखी, जिसने आगे चलकर लाखों परिवारों के जीवन को रोशन किया. ‘सहाराश्री’ की याद में भारत एक्सप्रेस न्यूज चैनल पर 23 नवंबर की रात 8 बजे उनके जीवन पर आधारित एक Exclusive Documentary दिखाई गई. ये Documentary ‘सहाराश्री’ के व्यक्तित्व के अनदेखे पहलुओं को दिखाती है.
भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय, ‘सहाराश्री’ के बेहद करीब रहे. ‘सहाराश्री’ के निधन की खबर सुनते ही उपेन्द्र राय बेहद भावुक हो गए थे. ‘सहाराश्री’ को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय ने कहा, “सहाराश्री के असमय महाप्रयाण से ऐसा लगा, जैसे जीवन में बनी लय टूट सी गई है. सहाराश्री के जीवन के कुछ पहलू समाज ने देखे, जिसके आलोचक और प्रशंसक दोनों रहे. लेकिन चंदन से सुब्रत रॉय, सुब्रत रॉय से सुब्रत रॉय सहारा और सुब्रत रॉय सहारा से सहाराश्री बनने का उनका सफर बेहद मार्मिक रहा है. इसलिए आज मैं यह तथ्य दुनिया के सामने लाना जरूरी समझता हूं कि जीवन में चमक दमक और शहंशाह सी जिंदगी जीने वाले सहाराश्री के व्यक्तित्व के पीछे एक श्वेत वस्त्रधारी फकीर सदैव खड़ा था. यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि उनके निधन से करीब 120 घंटे पहले मेरी उनसे विधिवत बात हुई. उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि ये जानते हुए भी कि उनके पास जीवन के मात्र कुछ पल बचे हैं, उनमें मृत्यु का किंचित भय नहीं था. इस तरह अपने जीवन के अंत का सामना करते हुए मैंने किसी और को नहीं देखा. भारत एक्सप्रेस पर प्रसारित की जा रही, उनके व्यक्तित्व के अनदेखे पहलुओं को पर्दे पर उकेरती यह फिल्म सहाराश्री को मेरी और भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि है.”
सुब्रत रॉय ने सहारा इंडिया परिवार की नींव रखने के बाद उसे बुलंदियों तक पहुंचाया. यही नहीं, सहारा इंडिया के जरिए ये कंपनी देश के घर-घर में पहुंची और सहाराश्री का साम्राज्य देश के बाहर लंदन तक फैला. ‘सहाराश्री’ का रूतबा ऐसा था कि राजनीति से लेकर बॉलीवुड और खेल जगत से जुड़े कई दिग्गजों का उनके यहां आना-जाना लगा रहता था. इनमें से कई दिग्गजों से उनकी अच्छी दोस्ती थी. एक समय में सहारा ग्रुप की नौकरी को सरकारी नौकरी की तरह देखा जाता था. लोग इस कंपनी के साथ जुड़ने के सपने देखा करते थे.
‘सहाराश्री’ हमेशा अपने चाहने वालों के बेहद करीब रहे. बिहार से लेकर बंगाल, गोरखपुर से लेकर लखनऊ और लंदन तक…सहाराश्री का सफर निरतंर चलता रहा और वे नित नए कीर्तिमान स्थापित करते रहे. ‘सहाराश्री’ की बेमिसाल उपलब्धियों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया.
-भारत एक्सप्रेस
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