RBI MPC Meeting
RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गर्वनर शक्तिकांत दास की तरफ से तीन दिन चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में किए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी गई है. इस बार के समीक्षा में रेपो रेट में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है. रेपो रेट लगातार पांचवी बार 6.5 प्रतिशत के स्तर पर कायम है.दास ने बताया कि एमपीसी मीटिंग के दौरान सभी सदस्यों की सहमति से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया.आपको बता दें केंद्रीय बैंक की तरफ से आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था.
आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5% कर दिया था, जिससे मई 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बाद शुरू हुआ ब्याज दर वृद्धि चक्र समाप्त हो गया.
खाद्य मंहगाई चिंता का विषय
बता दें कि आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खाद्य महंगाई चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है. मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.6 परसेंट और चौथी तिमाही में 5.2 फीसद पर रहने की उम्मीद है.अभी हम महंगाई दर को चार परसेंट पर लाने के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएं हैं. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि SDF रेट 6.25 प्रतिशत पर और MSF रेट 6.75% पर बरकरार है.
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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें
आरबीआई ने रेपो दर को लगातार पांचवीं बार 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा.
अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों को भुगतान के लिए यूपीआई लेनदेन की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव.
चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत किया गया.
दिसंबर, मार्च तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत, छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान.
2023-24 के लिए औसत खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया.
मुद्रास्फीति का अनुमान अनिश्चित खाद्य कीमतों से काफी प्रभावित.
सब्जियों की कीमतों में रुक-रुक कर होने वाले झटके एक बार फिर नवंबर और दिसंबर में कुल मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं.
रुपये में 2023 में अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में कम उतार-चढ़ाव.
एक दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 604 अरब डॉलर था.
केंद्रीय बैंक सतर्क और परिस्थितियों के अनुरूप कदम उठाने को तैयार.
भारत कई अन्य देशों की तुलना में अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में.
प्रस्तावित आवर्ती भुगतान के लिए कुछ श्रेणियों में स्वत: पैसा कटने की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का प्रस्ताव.
आरबीआई डेटा सुरक्षा, निजता को वित्तीय क्षेत्र के लिए क्लाउड सुविधा स्थापित करेगा.
अगली मौद्रिक नीति समिति बैठक 6-8 फरवरी, 2024 को होगी.
-भारत एक्सप्रेस