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राम मंदिर के लिए प्रण ऐसा कि नहीं की शादी, 31 साल बाद अन्न ग्रहण करेंगे दरभंगा के झमेली बाबा

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में रामभक्तों की वर्षों पुरानी मुराद पूरी होने वाली है. 22 जनवरी को पीएम मंदिर का उद्घाटन करेंगे.

Ayodhya Ram Mandir Jhameli Baba

अयोध्या में खिंचवाई फोटो के साथ झमेली बाबा.

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे. ऐसे में पूरी अयोध्या नगरी को फूलों से पाट दिया गया है. भगवान श्री राम करीब 500 सालों के बाद टेंट से अपने महल में लौटेंगे. ऐसे में देश के हर एक कोने में दीवाली जैसा माहौल है. ऐसा ही एक किस्सा है वीरेंद्र कुमार उर्फ झमेली बाबा का.

झमेली बाबा बिहार के दरभंगा जिले के खैरा गांव के रहने वाले हैं. इन्होंने भी 1992 में बाबरी मस्जिद विंध्वस में हिस्सा लिया था. इन्होंने प्रण लिया था कि जब तक राममंदिर नहीं बनेगा भोजन ग्रहण नहीं करेंगे. ऐसे में झमेली बाबा ने पिछले 31 साल से अन्न ग्रहण नहीं किया है. ऐसे में अब जब 22 जनवरी को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो ये इस दिन भोजन करेंगे और इनकी 31 साल पहले ली गई प्रतिज्ञा पूरी होगी. आइये जानते हैं झमेली बाबा के शब्दों में उनका किस्सा.

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7 सितंबर 1992 के बाद से नहीं ग्रहण किया अन्न

दरभंगा के खैरा गांव में रहने वाले झमेली बाबा 7 सितंबर 1992 के बाद से अन्न का त्याग करके बैठे हैं. उन्होंने संकल्प लिया था कि वे राम मंदिर के निर्माण होने तक फलाहार लेंगे. इसके बाद वे गुमनामी जी रहे थे. अभी फिलहाल वे छोटी सी पान की दुकान चलाकर जीवन यापन कर रहे हैं. उन्होंने शादी भी नहीं की.

उन्होंने बताया कि वे बचपन से ही स्वयंसेवक थे वे वीएचपी के आह्वान पर 250 लोगों के साथ कारसेवा करने के लिए अयोध्या के लिए निकले. अयोध्या पहुंचनेे के बाद वे बिहार प्रांत के वीएचपी अध्यक्ष महादेव प्रसाद और अन्य पदाधिकारियों के साथ कैसे भी करके बाबरी में प्रवेश कर गए.

ढांचा गिराने के बाद किया सरयू स्नान

झमेली बाबा ने बताया कि उन्होंने मस्जिद के बाहर रखा लोहे का पाइप उठाया और उसे गिराने में जुट गए. सभी लोग गुबंद पर चढ़ गए. सैकड़ों की संख्या में शिवसैनिक भी वहां जुटे थे. जैसे ही गुंबद गिरा मस्जिद भी धराशायी हो गयी. इसके बाद उन्होंने नीचे उतरकर अपने साथियों के साथ सरयू में स्नान किया और पास में स्थित में एक स्टूडियो में फोटो खिचवाईं. जो कि बाद में उन्हें डाक के जरिए प्राप्त हुई.

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भाई को सौंप दी पूरी संपत्ति

8 दिसंबर 1992 को वे अपने साथियों के साथ दरभंगा पहुंचे. हालांकि पुलिस की टीमें उनकी तलाश में जुटी थी. इसके बाद वे रेलवे ट्रै्क से होते हुए बलभद्रपुर संघ कार्यालय पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति अपने भाई को सौंप दी और पान की दुकान चलाने लगे. उन्होंने बताया कि अब मेरा सपना पूरा हो रहा है अब अन्न ग्रहण करूंगा. उन्हें भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने का न्योता मिला है.

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