रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पीएम मोदी, सीएम योगी, संघ प्रमुख मोहन भागवत.
Ayodhya Ram Mandir What is Pran Pratistha: अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हो चुका है. इसके साथ ही 495 वर्षों का इंतजार पूरा हो चुका है. पीएम मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, सीएम योगी और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान की जाने वाली पूजा में यजमान बनकर हिस्सा लिया. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चार और शुभ मुहूर्त में हो चुकी है. अयोध्या में देशभर से आए मेहमान इस कार्यक्रम के साक्षी बने. आइये जानते हैं क्या हैं प्राण प्रतिष्ठा?
प्राण प्रतिष्ठा का शाब्दिक अर्थ है जीवन की स्थापना करना. प्राण प्रतिष्ठा के बाद देवी या देवता की मूर्ति करना आवश्यक माना गया है. शास्त्रों के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी अगर किसी मूर्ति की नियमित रूप से पूजा नहीं की जाती है तो मूर्ति के अंदर की उर्जा नष्ट होने लगती है.
वैदिक मंत्रोच्चार के बाद किया जाता है अनुष्ठान
हमारे पुराणों और वेदों में प्राण प्रतिष्ठा का महत्व समझाया गया है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. प्राण प्रतिष्ठा को हमारे शास्त्रों में एक अनुष्ठान माना जाता है, इसके द्वारा मंदिर में देवी या देवता की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया जाता है. मूर्ति की स्थापना करते समय वैदिक मंत्रोच्चार भी किया जाता है.
मूर्ति पर क्यों लगाया जाता है कपड़ा
अनुष्ठान से पहले मूर्ति पर लेप लगाया जाता है. इसके बाद दूध से नहलाया जाता है. इस दौरान मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी होती है. इसके बाद मूर्ति को गर्भगृह में रखा जाता है और पूजा से जुड़े कई अनुष्ठान किए जाते हैं. इस दौरान मूर्ति का मुख पूर्व दिशा में होता है. इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार कर मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.
आंखों से निकली उर्जा से टूट जाता है शीशा
पूजा के बाद मूर्ति की आंखों पर बंधी पट्टी खोली जाती है इसके बाद आंखों में काजल लगाया जाता है प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मूर्ति को आईना भी दिखाया जाता है. मंत्रों के प्रभाव से मूर्ति के नेत्रों में उर्जा आती है. उससे किसी को भी नुकसान नहीं हो इसके लिए शीशे का दर्शन करवाया जाता है, इस दौरान नेत्रों से निकले तेज से आईना टूट जाता है.
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