सर्वोच्च न्यायालय
DHFL Bank Loan Scam: सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के बैंक कर्ज घोटाला मामले में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रमोटर्स कपिल वधावन और उनके भाई धीरज वधावन को मिली जमानत बुधवार को रद्द कर दी. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय और निचली अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए त्रुटि की. पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि प्रतिवादी आरोपियों के खिलाफ निर्धारित समय सीमा में आरोपपत्र दाखिल किए जाने और उनके द्वारा किए कथित अपराधों पर विशेष अदालत द्वारा उचित समय पर संज्ञान लिए जाने के बाद, प्रतिवादी जमानत के वैधानिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते कि अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच अभी चल रही है.’’
वधावन बंधुओं की जमानत रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए तत्काल वधावन बंधुओं को हिरासत में लिए जाने के निर्देश दिए. इससे पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कपिल वधावन और उसके भाई धीरज को निचली अदालतों द्वारा वैधानिक जमानत दिए जाने का उच्चतम न्यायालय में विरोध किया था. सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने कहा था कि मामले में आरोपपत्र 90 दिन की वैधानिक अवधि के भीतर दाखिल किया गया लेकिन फिर भी आरोपियों को वैधानिक जमानत दी गयी.
आरोपी जमानत पाने का हकदार होता है, अगर…
सीआरपीसी के तहत अगर जांच एजेंसी 60 या 90 दिनों की अवधि के भीतर किसी आपराधिक मामले में जांच के निष्कर्ष पर चार्जशीट दाखिल करने में विफल रहती है तो आरोपी वैधानिक जमानत पाने का हकदार हो जाता है. इस मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज करने के 88वें दिन आरोप पत्र दाखिल किया जिसके बाद निचली अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी और दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश को बरकरार रखा.
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एएसजी ने कहा था कि अन्य पहलुओं पर और कुछ अन्य आरोपियों के खिलाफ सीबीआई की जांच जारी है और निचली अदालतों ने कहा कि आरोपपत्र अंतिम नहीं है और उन्होंने आरोपियों को जमानत दे दी. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी की याचिका के समर्थन में कई फैसले हैं. इससे पहले 30 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में डीएचएफएल प्रवर्तकों को दी गई वैधानिक जमानत को बरकरार रखा था.
-भारत एक्सप्रेस
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