सांकेतिक तस्वीर
अहमदाबाद: एक व्यक्ति को गूगल ड्राइव पर बचपन की एक निर्वस्त्र तस्वीर अपलोड करना इतना भारी पड़ा कि वह एक साल से अपने ईमेल खाते को खोल नहीं सका है. इसके बाद उसे गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा. उच्च न्यायालय ने ‘स्पष्ट रूप से बाल शोषण’ के लिए याचिकाकर्ता के ईमेल खाते को ब्लॉक करने को लेकर गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को एक नोटिस जारी किया है.
बचपन की निर्वस्त्र तस्वीर अपलोड करना पड़ा भारी
याचिकाकर्ता ने गूगल ड्राइव पर अपनी एक तस्वीर अपलोड की थी जिसमें उसकी दादी उसे नहलाते हुए दिख रही है. यह तस्वीर तब की है जब वह दो साल का था. न्यायमूर्ति वैभवी डी नानावती की अदालत ने 15 मार्च को गूगल, केंद्र तथा राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे 26 मार्च तक जवाब देने को कहा है. पेशे से कम्प्यूटर इंजीनियर नील शुक्ला ने गूगल ड्राइव पर अपने बचपन की तस्वीरें अपलोड की थी जिसमें से एक तस्वीर में उनकी दादी बचपन में उन्हें नहलाते हुए दिख रही हैं.
पीड़ित को खटखटाना पड़ा हाईकोर्ट का दरवाजा
याचिकाकर्ता के वकील दीपेन देसाई ने अदालत को बताया कि गूगल ने ‘‘स्पष्ट बाल शोषण’’ को दिखाने वाली ऐसी सामग्री के संबंध में उसकी नीति का उल्लंघन करने के लिए पिछले साल अप्रैल में शुक्ला का खाता ब्लॉक कर दिया था. उन्होंने बताया कि कंपनी शिकायत निवारण तंत्र के जरिए इस मुद्दे को हल करने में नाकाम रही जिसके बाद शुक्ला ने 12 मार्च को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. देसाई ने अदालत को बताया कि चूंकि गूगल ने ईमेल खाता ब्लॉक कर दिया है तो शुक्ला अपने ईमेल नहीं पढ़ पा रहे हैं और इससे उन्हें कारोबार में नुकसान हुआ है.
हाईकोर्ट ने गुगल को भेजा नोटिस
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा, ‘गूगल का कहना है कि यह ‘स्पष्ट बाल शोषण’ है और उसने सब कुछ ब्लॉक कर दिया है. मैं अपने ईमेल नहीं पढ़ पा रहा हूं और मेरे कारोबार पर असर पड़ा है क्योंकि सब कुछ ब्लॉक कर दिया गया है.’ शुक्ला ने गुजरात पुलिस और केंद्र सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग का भी रुख किया था लेकिन वे इस पर कार्रवाई करने में विफल रहीं और उसे आखिरकार अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा. याचिकाकर्ता ने इस मामले में तत्काल सुनवाई का भी अनुरोध किया क्योंकि उसे गूगल से एक नोटिस मिला है जिसमें कहा गया है कि उनका खाता एक साल से सक्रिय नहीं है जिसके कारण उससे संबंधित डेटा अप्रैल में ‘डिलीट’ कर दिया जाएगा.