मुख्तार अंसारी (फोटो फाइल)
जिसका नाम लेने पर लोग कभी लोगों के बीच खौफ समा जाता था आज उस मुख्तार अंसारी का निधन हो चुका है. 80 के दशक से शुरू हुआ मुख्तार का रसूख अब तक ध्वस्त हो चुका है.
मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ. समय के साथ उसका नाम भी बड़ा हुआ और इतना बड़ा हुआ कि बड़े-बड़े नेता और व्यापारी कांप जाते थे. 80 के दशक से लेकर मुख्तार के निधन तक उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उसकी तूती बोलती थी. चाहे वह मायावती की सरकार रही हो या मुलायम की मुख्तार पर कोई फर्क नहीं पड़ा. 1996 से मऊ के सदर विधानसभा क्षेत्र से मुख्तार लगातार 5 बार विधायक रह चुका है. साल 2022 में छठी बार उसने इस सीट से अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनाव लड़ाया और वह विधायक बन गया है.
इतने मुकदमे दर्ज हैं
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या, बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या, विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष की हत्या और मऊ दंगे समेत करीब 65 मुकदमे मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज हैं. इनमें से अवधेश राय हत्याकांड समेत कई मामलों में मुख्तार अंसारी को सजा भी मिल चुकी थी.
घोसी से कल्पनाथ राय के खिलाफ लड़ा था चुनाव
1996 के लोकसभा चुनाव में कल्पनाथ राय घोसी संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी थे तो वहीं मुख्तार अंसारी बसपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में था. हालांकि कल्पनाथ राय के क्रेज के आगे मुख्तार चल नहीं पाया और कल्पनाथ निवर्तमान प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के विरोध के बावजूद चुनाव जीत गए थे.
सियासत में अंसारी परिवार
मुख्तार अंसारी के भाई ने यूं तो कम्युनिस्ट पार्टी से सियासत शुरू की, लेकिन बाद में बसपा फिर सपा होते हुए वापस सपा के साथ आ चुके हैं. इस दौरान उन्होंने अपने दलों का भी निर्माण किया था. अंसारी परिवार ने पहले हिंदू मुस्लिम एकता पार्टी, फिर कौमी एकता दल का निर्माण किया था. हालांकि अब इन दलों का विलय हो चुका है. मुख्तार अंसारी की बीते 28 मार्च को उत्तर प्रदेश के बांदा में निधन हो गया. वह बांदा जेल में ही बंद था.
-भारत एक्सप्रेस
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