गौरव बल्लभ.
Gourav Vallabh Resigns Dharmo Rakshati Rakshitah: कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने महाभारत के एक श्लोक का जिक्र कहते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस्तीफे वाले पत्र में लिखा- ‘धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्’. महाभारत के करीब 1 लाख 10 हजार श्लोकों में यह बेहद खास श्लोक है. जिसका भावार्थ है- जो धर्म का नाश करता है, उसका नाश भी धर्म ही करता है. जो धर्म और इसके मार्ग पर चलने वालों की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है. इसलिए धर्म का कभी विनाश नहीं करना चाहिए.
महाभारत की रचना किसने की?
महाभारत की रचना तकरीबन 3100 ईसा पूर्व में हुई. पौराणिक काल में इसे ‘जय संहिता’ के नाम से जाना जाता था. महाभारत को महाकाव्य भी कहा जाता है. यह धार्मिक ग्रंथ कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें लगभग 1,10,000 श्लोक हैं. महाभारत की रचना का श्रेय महर्षि वेदव्यास को जाता है. मान्यता है कि इस ग्रंथ को को लिखने का काम भगवान गणेश ने किया था. महाभारत को जय संहिता और भारत के नामों से भी जाना जाता है.
धर्म ग्रंथ गीता महाभारत का अंश
हिंदूओं का धर्म ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता का महाभारत का ही अंश है. इसमें दिए गिए 18 अध्याय महाभारत के भीष्म पर्व से लिया गया है. गीता में कुल 700 श्लोक हैं. जिसमें मानव से जीवन से संबंधित गूढ़ बातें बताई गई हैं. इसके अलावा गीता में मानव जीवन के चार आश्रम- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, संन्यास और वानप्रस्थ के बारे में विस्तार से बताया गया है.
जन्म से हिंदू हूं…
गौरव वल्लभ ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देते हुए पत्र में लिखा कि ‘अयोध्या में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस के स्टैंड से क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं. पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज और परेशान किया’.
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