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Ujjain News: महाकाल मंदिर में पुरातत्व विभाग बनवा रहा है एक हजार साल पुराना शिव मंदिर, 2021 में मिला था जमीन के नीचे दबा, इस महीने से भक्त कर सकेंगे दर्शन

ये मंदिर 37 फीट ऊंचा बनेगा और इसे प्राचीन स्वरूप में ही बनाया जा रहा है. मंदिर निर्माण में करीब 95 प्रतिशत पुराने पत्थरों का उपयोग किया जाएगा. अवशेषों पर नंबरिंग भी कर ली गई है.

Ujjain Mahakal Mandir building a thousand year old Shiva mandir

एक हजार साल पुराने शिव मंदिर के अवशेष- फोटो सोशल मीडिया

Ujjain News: मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर से बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां मंदिर के परिसर में पुरातत्व विभाग द्वारा एक हजार साल पुराना शिव मंदिर बनवाया जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य जुलाई तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, 25 जून 2021 को जमीन में दबे प्राचीन मंदिर का ढांचा दिखाई दिया था. इसके बाद खुदाई की गई तो एक हजार साल पुराने मंदिर का अवशेष निकला. इसे अब फिर से बनाया जा रहा है. मंदिर निर्माण के लिए विभाग की आयुक्त निरीक्षण करने भी उज्जैन पहुंचीं और उन्होंने तमाम जानकारी ली. बता दें कि इस मंदिर की ऊंचाई 37 फीट होगी और इसे प्राचीन स्वरूप में ही बनाया जाएगा.

विशेषज्ञों की देखरेख में हुई थी खुदाई

बता दें कि ये मंदिर श्री महाकालेश्वर मंदिर के सौंदर्यीकरण कार्य के दौरान की गई खुदाई में मिला था. विशेषज्ञों की निगरानी में जब इसकी खुदाई कराई गई तब पता चला कि मंदिर के अवेशेष करीब एक हजार साल पुराने हैं. इस मंदिर को लेकर पुरातत्व विभाग के चार सदस्यीय टीम ने निरीक्षण किया था और फिर मंदिर की रिपोर्ट विभाग को पेश की थी. बीते दिनों पुरातत्व विभाग की आयुक्त ने निरीक्षण किया था. बताया जा रहा है कि मंदिर को सावन से पहले यानी जुलाई तक बनाकर तैयार करने की प्लानिंग है. हाल ही में पुरातत्व अभिलेखागार एंव संग्रहालय की आयुक्त उर्मिला शुक्ला महाकाल मंदिर पहुंची थीं और प्राचीन मंदिर के निर्माण की जानकारी ली थी. इस मौके पर भोपाल के पुरातात्विक अधिकारी डॉ. रमेश यादव, पुरातत्व विभाग इंदौर के उप संचालक प्रकाश परांजपे, त्रिवेणी संग्रहालय के संग्रहाध्यक्ष योगेश पाल और पुरातत्व विभाग के उपयंत्री पुष्पेंद्र रोकड़े मौजूद रहे.

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प्राचीन स्वरूप में ही बनकर तैयार होगा मंदिर

बता दें कि पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी डॉ. धु्रवेंद्र सिंह जोधा को पुरातात्विक विधि से खुदाई कराने का काम सौंपा गया था. खुदाई के दौरान स्तंभ, कुंभ भाग, आमलक आदि के अवशेष मिले थे. विभाग ने इन अवशेषों का वर्गीकरण भी कर लिया है. इसके बाद विभाग ने इन पुरा अवशेषों पर नंबरिंग भी की है. इसके बाद अब पुरातत्व विभाग आधार भाग से शिखर तक के हिस्सों को जोड़कर प्राचीन स्वरूप में ही मंदिर का निर्माण कराएगा. बता दें कि मंदिर कार्य के लिए साफ-सफाई का कार्य जनवरी में ही शुरू हो गया था.

65 लाख की मिली है स्वीकृति

बता दें कि मंदिर को प्राचीन मूल स्वरूप में बनवाने के लिए पुरातत्व विभाग ने करीब 65 लाख रुपये की स्वीकृति दी है. इस मंदिर के निर्माण के लिए राजस्थान व अन्य स्थानों से पुरातत्व विभाग में कार्य करने वाले विशेषज्ञ कारीगरों को बुलाया गया है. इसको लेकर पुरातत्व विभाग भोपाल के अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने मीडिया को बताया कि खुदाई के दौरान मंदिर के दो भी अवशेष मिले हैं, चाहे वो स्तंभ, कुंभ भाग व आमलक हों, सभी अवशेषों का वर्गीकरण कर लिया गया है और इसके बाद अवशेषों पर नंबरिंग भी कर ली गई है. इस तरह से जो भाग जहां का होगा मंदिर निर्माण के दौरान उसी स्थान पर स्थापित किया जाएगा और प्राचीन स्वरूप में ही मंदिर का निर्माण कराया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि निर्माण कार्य के दौरान करीब 95 प्रतिशत पुराने पत्थरों का उपयोग किया जाएगा. इस दौरान देखा जाएगा कि जहां के पत्थर टूटे-फूटे या फिर लगाने के लायक नहीं हैं तो वहीं पर नए पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा. अधिकारी ने दावा किया कि सावन महीने से पहले यानी जुलाई तक मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि मंदिर निर्माण का सारा काम पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में हो रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

 



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