दिल्ली हाई कोर्ट
प्रधानमंत्री पर 6 साल तक किसी भी तरह के चुनाव लडने से रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को दिल्ली हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया है.कोर्ट ने माना कि याचिका में कोई दम नहीं है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका ख़ारिज़ करते हुए कहा कि मौजूदा रिट याचिका पूरी तरह से गलत है.याचिकाकर्ता का अनुमान है कि उल्लंघन हुआ है. इस कोर्ट को चुनाव आयोग को कोई विशेष दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश देना स्वीकार्य नहीं है. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग के इस कथन पर गौर किया कि वह आवेदन पर कार्रवाई करेगा.मामले को सुनवाई के दौरान जस्टिस सचिन दत्ता ने याचिकाकर्ता से पूछा कि यह ट्रांसक्रिप्ट क्या है? याचिकाकर्ता जोंधले ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 2 (मोदी) का भाषण.यह एक विस्फोटक भाषण है जो देश को विभाजित कर सकता है.
मामलें पर चुनाव आयोग ने कहा
चुनाव आयोग ने कहा कि अतिरिक्त हलफनामे में दूसरे भाषण का ज़िक्र है. यह 21 अप्रैल का भाषण है.चुनाव आयोग के वकील ने आगे कहा कि 21 अप्रैल के भाषण (राजस्थान में मोदी द्वारा दिया गया) के संबंध में, हमने पार्टी को पहले ही नोटिस जारी कर दिया है.चुनाव आयोग ने कहा कि उनका प्रतिनिधित्व वहां है. हम कानून के अनुसार इस पर कार्रवाई करेंगे.आयोग एक संवैधानिक निकाय है.
याचिका में दावा
याचिका में दावा किया गया है कि 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में प्रधानमंत्री मोदी ने वोट पाने के लिए धर्म का सहारा लिया था. याचिका में भगवान और पूजा स्थल के नाम पर वोट मांगकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी.याचिका में पीएम मोदी को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी.याचिकाकर्ता ने कहा था कि पीएम ने अपने भाषण के दौरान मतदाताओं से हिंदू देवी देवताओं और हिंदू पूजा स्थलों के नाम पर भाजपा को वोट देने की अपील की.
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