सीजेआई संजीव खन्ना. (फाइल फोटो)
संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjeev Khanna) ने कहा संविधान जीवन जीने का एक तरीका है, जिसके अनुसार हमें जीना है. सीजेआई ने कहा कि बार के सदस्य के रूप में मेरा कार्यकाल निश्चित रूप से एक जस्टिस के रूप में मेरे कार्यकाल से लंबा है. जस्टिस बार से आते और बार में वापस जाते है. हम बार से संबंधित है, जितना बेहतर बार होगा, उतना ही बेहतर जस्टिस होंगे.
स्वतंत्रता के बाद देश ने परिवर्तनकारी यात्रा की
सीजेआई ने कहा कि सीजेआई बनने के बाद मैंने बार के सदस्यों की समस्याओं पर गौर किया है. पिछले तीन महीनों में 9 से 10 हजार स्थगन पत्र वितरित किया गया है. स्वतंत्रता के बाद से भारत ने एक परिवर्तनकारी यात्रा की है, जो विभाजन की भयावहता, व्यापक निरक्षरता, गरीबी और भुखमरी, जांच और संतुलन की एक मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली की कमी औऱ आत्म संदेह के कारण एक राष्ट्र से आज एक परिपक्व और जीवंत लोकतंत्र, एक आत्मविश्वासी राष्ट्र और एक भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है.
2015 में संविधान दिवस मनाने की शुरुआत हुई
26 नवंबर के दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. यह दिन संविधान के महत्त्व की याद दिलाता है. यह कार्यक्रम स्कूल-कॉलेजो और सरकारी दफ्तरों में कार्यक्रम होते है और निबंध, भाषण या फिर क्विज प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता के रूप में याद किया जाएगा. यह दिन हमें हमारे संविधान की याद दिलाता है. साथ ही संविधान के महत्व को समझने का मौका मिलता है.
26 नवंबर को पहले कानून दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है. इसकी शुरुआत 1930 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा के पारित होने के बाद हुई थी. इस घटना की याद में कानून दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई थी. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 125 वी जयंती के अवसर पर, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य नागरिकों में.संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है.
-भारत एक्सप्रेस
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