Covid New Variant FLiRT Symptoms
Covid New Variant FLiRT Symptoms: कुछ समय पहले पूरी दुनिया में कोरोना महामारी ने तबाही मचाई थी. लाखों लोगों की मौतें हुईं और करोड़ों लोग इसकी चपेट में आए. भारत भी इस महामारी की खतरनाक वेव से गुजर चुका है. अब इसी बीच कोरोना का एक नया वैरिएंट देश में एंट्री कर चुका है और तेजी से भारत के कई राज्यों में तेजी से फैल रहा है.
भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अब तक कोविड-19 के 324 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें केपी.2 के 290 मामले और केपी.1 के 34 मामले शामिल है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि फिलर्ट भी ओमिक्रॉन जैसी प्रकृति वाला है, ऐसे में इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा जरूर है पर गंभीर रोग के मामलों की आशंका कम है. अगर शुरुआती स्थिति में ही बचाव के उपाय कर लिए गए तो इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है.
क्या है KP.2 वेरिएंट
कोरोनावायरस के दो नए सब-वैरिएंट KP.2 और KP.1 को ‘FLiRT’ नाम दिया गया है. KP.2 को JN.1 वेरिएंट फैमिली से बताया जा रहा है. यह ओमिक्रॉन लाइनेज का सब वेरिएंट है, जिसमें नए म्यूटेशन हैं. इसे FLiRT का नाम दिया गया है, जो दो इम्यून से बचने वाले म्यूटेशन को दिखाते हैं. ये म्यूटेशन वायरस को एंटीबॉडी पर हमला करने देते हैं.
इन राज्यों में तेजी से फैल रहा है नया वैरिएंट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा के साथ-साथ कई राज्यों में नए वैरिएंट्स की वजह से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ गई है. कोरोना का नया कोरोना फलर्ट (KP.2) ओमिक्रॉन का ही सब-वेरिएंट है, जिसको लेकर हेल्थ एक्सपर्ट ने सभी को सावधानी बरतते की सलाह दी है.
FLiRT के लक्षण क्या हैं
सर गंगा राम हॉस्पिटल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एम वली का कहना है, ‘FLiRT के लक्षण लगभग अन्य वैरिएंट समान ही हैं जिनमें गले में खराश, खांसी, थकान, मसल्स में दर्द, बुखार, ठंड लगना और स्वाद या गंध की कमी शामिल हैं.
क्या एक बार फिर आएगी लॉकडाउन जैसी स्थिति?
कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर किए गए अध्ययनों की रिपोर्ट के आधार पर विशेषज्ञों ने बताया KP.2 जिस गति से बढ़ रहा है ऐसे में यह बहुत जल्दी ही अब तक सबसे तेजी से फैलने वाले JN.1 वैरिएंट की जगह ले सकता है. कोरोना के लगभग 50% सैंपल के अध्ययन में KP.2 को ही प्रमुख कारक माना जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने KP.2 को ‘वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ के रूप में वर्गीकृत किया है.
-भारत एक्सप्रेस
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