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बसें आग के हवाले…हाईवे जाम; 6 की मौत 100 से अधिक घायल, जानें क्यों मचा है बांग्लादेश में आरक्षण पर बवाल

प्रदर्शन इतना उग्र हो गया है कि अधिकारियों को मंगलवार को चार प्रमुख शहरों में अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

Bangladesh Violent Protests

फोटो-सोशल मीडिया

Bangladesh Violent Protests: सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने अब हिंसक रूप अपना लिया है. ये लोग आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे हैं. तो वहीं प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई है और 100 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. तो वहीं सड़कों में भी जाम लगा दिया गया है. अज्ञात लोगों ने दो बसों को आग लगा दी. हजारों लोग सड़क पर उतर कर बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों ने लगाया ये आरोप

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे सोमवार को ढाका और उसके बाहरी इलाकों में दो सरकारी विश्वविद्यालयों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तभी उन पर सत्तारूढ़ पार्टी के छात्र कार्यकर्ताओं ने लाठी, पत्थर व चाकू आदि से हमला कर दिया. इसी के बाद प्रदर्शन हिंसा में बदल गया और फिर घटना में 6 मौते हो गईं. बता दें कि हिंसा मध्य ढाका, दक्षिण पश्चिम खुलना, उत्तर पश्चिम राजशाही और चट्टोग्राम में देखने को मिली है. चट्टोग्राम में हाईवे और रेल रोक दी गई. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी नौकरियों में मेधावी छात्रों रोक रही है.

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तीन छात्रों की हुई मौत

मीडिया सूत्रों के मुताबिक अब तक इस हिंसा में कम से कम तीन छात्रों की मौत हुई है. सोमवार को झड़पें उस वक्त शुरू हुई जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ता प्रदर्शनकारियों के सामने आ गए. प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर दे रहे थे कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है. प्रदर्शनकारियों ने चार महत्वपूर्ण शहरों मध्य ढाका, उत्तर पश्चिम राजशाही, दक्षिण पश्चिम खुलना और चट्टोग्राम में राजमार्ग और रेल मार्ग बाधित किये. तो वहीं खबरों की मानें तो ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी की सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए एक सप्ताह से चल रहे विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे हैं. छात्रों की मांग है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में सुधार करते हुए प्रतिभा के आधार पर सीटें भरी जाएं.

विश्वविद्यालयों के परिसरों में तैनात रहे पुलिसकर्मी

पुलिस और मीडिया ने राजधानी ढाका और उत्तरपूर्वी बंदरगाह शहर चट्टोग्राम में दो और लोगों की मौत होने की सूचना दी है, जबकि इससे पहले राजधानी ढाका, चट्टोग्राम और उत्तर पश्चिमी रंगपुर में चार लोग की मौत हुई थी. बढ़ती हिंसा को देखते हुए मंगलवार को अधिकारियों को चार प्रमुख शहरों में अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के जवानों को बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इससे पूर्व सैकड़ों पुलिसकर्मी रात भर देश भर के सार्वजनिक विश्वविद्यालय परिसरों में तैनात रहे.

सभी स्कूल बंद

बढ़ती हिंसा को देखते हुए सरकार ने अगले आदेश तक स्कूल और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दे दिया है. शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी हाई स्कूल, कॉलेज, मदरसे और ‘पॉलिटेक्निक’ संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे.”

जानें क्या है बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था

बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों को वरीयता दी गई है. उन्हें 30 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है. इसी के साथ ही महिलाओं को 10 प्रतिशत दिया गया है. तो दूसरी ओर जातीय अल्पसंख्यकों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जबकि एक प्रतिशत विकलांगों के लिए नौकरियां आरक्षित हैं. प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यकों और दिव्यांगों को आरक्षण देने के पक्षधर हैं, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के वंशजों को लेकर विरोध कर रहे हैं.

बता दें कि यहां की आरक्षण व्यवस्था के तहत महिलाओं, दिव्यांगों और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है. इस प्रणाली को 2018 में निलंबित कर दिया गया था, जिससे उस समय इसी तरह के विरोध प्रदर्शन रुक गए थे लेकिन, पिछले महीने बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले नायकों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत कोटा बहाल करने का आदेश दिया. इसी के बाद से नए सिरे से इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. प्रदर्शनकारी दिव्यांग लोगों और जातीय समूहों के लिए छह प्रतिशत कोटे का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के वंशजों को आरक्षण के खिलाफ हैं.

प्रधान न्यायाधीश ने की ये अपील

बता दें कि पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर चार हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी और प्रधान न्यायाधीश ने प्रदर्शनकारियों से कहा था कि वे विरोध-प्रदर्शन समाप्त कर अपनी कक्षाओं में वापस लौट जाएं. उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह चार सप्ताह के बाद इस मुद्दे पर फैसला करेगा. इसके बावजूद, विरोध-प्रदर्शन जारी है और अब ये खूनी हिंसा में तब्दील हो गया है.

-भारत एक्सप्रेस



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