दिल्ली हाईकोर्ट.
Samvidhaan Hatya Diwas: केंद्र सरकार द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाए जाने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. याचिका में केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे खारिज करते हुए कहा कि केंद्र की अधिसूचना किसी भी तरह से देश की संविधान या राष्ट्रीय गौरव को कमजोर या अपमानित नहीं करती है.
हाईकोर्ट ने कहा कि अधिसूचना आपातकाल की घोषणा के मुद्दे को चुनौती नहीं देती, बल्कि इसके बाद सत्ता के दुरुपयोग और संवैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग को चुनौती देती है. इस अधिसूचना को किसी भी सूरत में संविधान का अपमान नहीं कहा जा सकता. इसके अलावा यह राष्ट्रीय अपमान की श्रेणी में भी नहीं आता है.
आपातकाल, संविधान की हत्या नहीं
बता दें कि यह जनहित याचिका समीर मलिक नामक व्यक्ति ने दायर की थी. याचिका में तर्क दिया गया था कि आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया गया था और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह संविधान की हत्या करके किया गया.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी याचिका
ज्ञात हो कि पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की केंद्र सरकार द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाने को लेकर जारी अधिसूचना को चुनौती दी है. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में यह दूसरी याचिका है.
याचिका में कहा गया यह कि संविधान हत्या शब्द का प्रयोग अनुचित और गलत है, तथा इससे अत्यधिक अप्रिय और अनावश्यक प्रभाव पड़ने की संभावना है. जब भी इन शब्दों का अलग-अलग और स्वतंत्र रूप से प्रयोग किया जाएगा, तो इससे यह स्पष्ट संकेत मिलेगा कि किसी समय संविधान की हत्या की गई थी और इसलिए अब कोई संविधान अस्तित्व में नहीं है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 11 जुलाई को घोषणा करते हुए कहा था कि हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए, ताकि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के कारण हुई अमानवीय पीड़ा को झेलने वाले सभी लोगों के योगदान को याद किया जा सके.
-भारत एक्सप्रेस
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