दिल्ली में बारिश
Climate Change: जलवायु परिवर्तन दुनिया भर के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. इसी दौरान एक नए अध्ययन में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से बारिश के पैटर्न में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. ताजा उदाहरण वायनाड जिले में देखने को मिल रहा है. यहां पर अतिवृष्टि के चलते भूस्खलन की घटनाओं में 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है.
एक शोध में पाया गया है कि मानवजनित कारणों से बढ़ी गर्मी की वजह से धरती के 75 फीसदी हिस्से पर बारिश के पैटर्न में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है. शोध के निष्कर्ष साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. इस शोध में खुलासा हुआ है कि जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में बारिश के पैटर्न को और अधिक अस्थिर व असामान्य बना रहा है.
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पिछले 100 सालों में आया है बदलाव
शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि पिछले 100 वर्षों में बारिश के पैटर्न में पहले से बहुत ज्यादा बदलाव आया है. तो वहीं जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि अरब सागर के गर्म होने से बादलों के बनने में इजाफा हो रहा है जिससे कम समय में अत्यधिक बारिश हो रही है. जलवायु मॉडल ने इस बात का भी पूर्वानुमान लगाया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण यह बदलाव और भी भयावह हो जाएगा.
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का है परिणाम
शोध में बताया गया है कि दुनिया भर में बारिश का पैटर्न बदला है. 1900 के दशक में 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सों में बारिश के बदलाव में वृद्धि देखने को मिली है. शोध में पाया गया है कि यह बदलाव काफी हद तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण है. यही वजह है कि इसकी एक गर्म और अधिक नमी वाले वातावरण का निर्माण हुआ जिसके कारण तीव्र बारिश की घटनाओं और उनके बीच अधिक उतार-चढ़ाव पैदा हुआ है. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा कहते हैं कि इस महीने में सबसे अधिक वर्षा 56 सेमी (560 मिमी) 25 जुलाई को महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित ताम्हिनी में हुई. उसी दिन पुणे के लवासा में 45 सेमी और लोनावाला में 35 सेमी बारिश हुई.
-भारत एक्सप्रेस
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